অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय

भारतीय राज्य व्यवस्था की संघीय संरचना में, आवास और शहरी विकास से संबंधित मामले भारत के संविधान द्वारा राज्य सरकारों को सौंपे गए हैं। संविधान (74वें संशोधन) अधिनियम ने इनमें से कई कार्य आगे शहरी स्थानीय निकायों को दिए हैं। भारत सरकार के संवैधानिक और कानूनी प्राधिकार केवल दिल्ली और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों तथा राज्य विधानसभाओं द्वारा संघीय संसद को विधान बनाने के लिए प्राधिकृत विषय तक ही सीमित है।

तथापि, संविधान के प्रावधानों के होते हुए भी, भारत सरकार एक कहीं अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और समूचे देश की नीतियों और कार्यक्रमों को आकार देने में एक बड़ा प्रभाव डालती है। राष्ट्रीय नीति संबंधी मुद्दों के निर्णय भारत सरकार द्वारा लिए जाते हैं, जो राज्य सरकारों को संसाधनों का आवंटन केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से करती है, राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के जरिये वित्त उपलब्ध करती है और संपूर्ण देश में आवास और शहरी विकास के लिए विभिन्न बाहरी सहायता कार्यक्रमों का समर्थन करती है। नीतियों और कार्यक्रमों की विषय-वस्तुओं का निर्णय पंचवर्षीय योजनाओं के सूत्रीकरण के समय लिया जाता है। भारत सरकार के राजकोषीय, आर्थिक और औद्योगिक स्थान निर्णयों का अप्रत्यक्ष प्रभाव देश में शहरीकरण के प्रतिरूप और अचल संपत्ति के निवेश पर बहुत प्रबल प्रभाव पड़ता है।

मंत्रालय के बारे में

आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार का शीर्षस्थ प्राधिकरण है जो नीतियों का सूत्रीकरण, कार्यक्रमों का प्रायोजन और समर्थन, विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और अन्य नोडल अधिकारियों की गतिविधियों का समन्वय और देश में शहरी रोजगार, गरीबी और आवास के सभी मुद्दों से संबंधित कार्यक्रमों की निगरानी करता है।

मंत्रालय का गठन 13 मई, 1952 को किया गया था जब इसे कार्य, आवास और आपूर्ति मंत्रालय के नाम से जाना जाता था। बाद में एक अलग आपूर्ति मंत्रालय के बनने पर इसका नाम बदल कर कार्य एवं आवास मंत्रालय कर दिया गया। सितंबर 1985 में शहरी मुद्दों के महत्व को मान्यता के रूप में मंत्रालय का नाम बदल कर शहरी विकास मंत्रालय कर दिया गया। 8 मार्च 1995 को शहरी रोजगार और गरीबी उनमूलन विभाग के सृजन से साथ, मंत्रालय को शहरी मामलों और रोजगार मंत्रालय के नाम से जाना जाने लगा। मंत्रालय के दो विभाग थे:  शहरी विकास विभाग व शहरी रोजगार और गरीबी उनमूलन विभाग। 9 अप्रैल 1999 को दोनों विभागों का पुनः विलय कर दिया गया और परिणामस्वरूप "शहरी विकास मंत्रालय" वापस बहाल कर दिया गया है। 16.10.1999 से मंत्रालय को दो मंत्रालयों में विभाजित कर दिया गया, नामत:  (1) "शहरी विकास मंत्रालय" और (2) "शहरी रोजगार और गरीबी उनमूलन मंत्रालय"।  इन दोनों मंत्रालयों का 27.5.2000 को पुनः एक मंत्रालय में विलय कर दिया गया और दो विभागों वाले "शहरी विकास और गरीबी उपशमन मंत्रालय" का नाम दिया गया। वे हैं: (1)शहरी विकास विभाग और (2)शहरी रोजगार और गरीबी उनमूलन विभाग।

27-5-2004 से, मंत्रालय को एक बार फिर दो मंत्रालयों में विभाजित कर दिया गया है, नामतः  (1)शहरी विकास मंत्रालय; और (2) शहरी रोजगार और गरीबी उपशमन मंत्रालय (अब आवास और शहरी गरीबी उनमूलन मंत्रालय)।

शहरी मामलों का राष्ट्रीय संस्थान(एनआईयूए)

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफअर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) शहरी विकास और प्रबंधन में अनुसंधान, प्रशिक्षण और सूचना के प्रसार के लिए एक अग्रणी संस्थान है। वर्ष 1976 में समिति पंजीयन अधिनियम के अंतर्गत एकस्वायत्त संगठन के रूप में स्थापित इस संस्थान को शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार, राज्य सरकारों, शहरी और प्रांतीय विकास प्राधिकरणों और शहरी मुद्दों से संबंधित अन्य एजेंसियों का समर्थन प्राप्त है। इस संस्थान की नीतियों और दिशानिर्देशों को शासक परिषद द्वारा निर्धारित किया जाता है जिसमें भारत सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष, भारत सरकार के तीन सदस्य उनकी पदेन क्षमता में, बारह अन्य सदस्य, और सदस्य-सचिव के रूप में संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, निदेशक शामिल होते हैं।

संस्थान के संगठन का स्मृतिपत्र अन्य बातों के साथ, निम्न को इसके मुख्य कार्यों के रूप में निश्चित करता हैः

  • एक स्वायत्त, वैज्ञानिक और अनुसंधान संगठन के रूप में कार्य करना;
  • शहरी समस्याओं केउच्च अध्ययन के लिए केंद्र के रूप में कार्य करना और आवश्यक प्रशिक्षण व अनुसंधान सुविधाओं को उपलब्ध और प्रोत्साहित करना;
  • शहरी विकास योजनाओं के कार्यान्वयन और कार्यक्रमों सामाजिक, प्रशासनिक, वित्तीय और अन्य पहलुओं का मूल्यांकन करना;
  • शहरी मामलों के क्षेत्र में उपलब्ध विशेषज्ञताओं को गतिशील करना और तकनीकी और परामर्श सेवाओं की पेशकश और समन्वय करना;
  • संस्थान के उद्देश्य को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय, राज्य या स्थानीय केन्द्रों का गठन करना या गठन करवाना या संबद्धता देना;
  • विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों, कार्यशालाओं और संगोष्ठीयों का आयोजन और प्रायोजन करना;
  • जानकारी के एक निपटान गृह के रूप में कार्य करना और एक दस्तावेज़ीकरण केंद्र चलाना व शहरी मामलों पर जानकारी का प्रचार-प्रसार करना;  और
  • शहरी मामलों से संबधितपुस्तकों, शोध-पत्रों, विनिबंधों और अन्य संचार सामग्री के प्रकाशन और वितरण का कार्य करना और उसे सुगम बनाना।
  • संस्थान के मुख्य कार्यकलाप शहरी योजनाकारों, अर्थशास्त्रियों, भूगोलवेत्ताओं, सांख्यिकीविदों, समाजशास्त्रियों, प्रणाली विश्लेषकों और प्रबंध विशेषज्ञों की एक अनुभवी टीम द्वारा संचालित किये जाते हैं। नवीनतम कम्प्यूटर हार्डवेयर और उन्नत सॉफ्टवेयर पैकेजों से सुसज्जित विशेषज्ञ कर्मचारी संस्थान की अनुसंधान, प्रशिक्षण और अन्य गतिविधियों को आवश्यक समर्थन सेवाएं प्रदान करते हैं।

स्त्रोत : आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय,भारत सरकार

Last Modified : 2/13/2023



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate