अक्सर पूछे गए सवाल
सीलिएक रोग के बारे में हमारे मरीज़ों और उनके परिवार के सदस्यों के द्वारा पूछे गए कुछ प्रश्न और उनके उत्तर
ग्लूटनमुक्त खाना शुरू करने के दो हफ़्ते के भीतर ज्य़ादातर लोगों की तबियत में सुधार दिखना शुरू हो जाता है। आंतों के सुधार में कुछ महीने से लेकर दो साल तक लग सकते हैं।
नहीं, हम ग्लूटनमुक्त खाना खाकर इसको सिर्फ़ काबू में रख सकते हैं।
नहीं। लेकिन विशेषज्ञ दवाई बनाने की कोशिश कर रहे हैं। डॉक्टर आपको कुछ विटामिन और ताकत की दवाई देंगे, जिनका सेवन करना ज़रूरी है।
नहीं, ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ आपके बच्चे को या आपके घर में ही सीलिएक रोग है। यह माना जाता है कि भारत में और दुनिया के कई देशों में सौ में से करीब एक इंसान को सीलिएक रोग है।
नहीं, थोड़ी मात्रा में भी ग्लूटन का सेवन करना हानिकारक है। ब्रेड का छोटा सा अंश भी नुकसान पहुँचा सकता है।
गेहूँ की जो नस्ल बरसों पहले खाई जाती थी, वह अब बदल चुकी है। कुछ इंसानों का शरीर बदले हुए गेहूँ को नहीं पचा पाया जिसकी वजह से कई बीमारियाँ होनी शुरू हुई। दुनिया भर में जहाँ गेहूँ ज्य़ादा खाया जाता है, वहीं यह रोग सबसे ज्य़ादा पाया जाता है।
नहीं। आँतों को जो नुकसान पहुँचा है, वह ग्लूटन खाना बंद करने के कुछ महीनों बाद ठीक होने लगेगा। आँतों को पूरी तरह से ठीक होने में करीब दो साल लग सकते हैं। लेकिन तबियत में सुधार,ग्लूटन बंद करने के कुछ सप्ताह बाद ही होने लगेगा।
नहीं, सीलिएक रोग छुआछूत की बीमारी कतई नहीं है।
नहीं, अगर यह समय पर पता चल जाती है, और अपने खान-पान में ग्लूटन को पूरी तरह से दूर रखा जाता है, तब यह जानलेवा नहीं होती है। लेकिन अगर थोड़ी मात्रा में भी थोड़े दिनों के अंतराल में ग्लूटन का सेवन होता रहा, तब सीलिएक रोग आपकी आंतों को नुकसान पहुँचा सकता है, और कुछ सालों में इसकी वजह से जानलेवा बीमारियाँ भी हो सकतीहैं।
हाँ, ज़रूर। ग्लूटन बंद करने के पश्चात् कुछ हफ्तों में वह बेहतर महसूस करेगी। उसका शरीर धीरे-धीरे अपनी उम्र के अनुसार चुस्त और मज़बूत हो जाएगा। लेकिन उसे स्वस्थ्य बने रहने के लिए खाने में परहेज़ बनाये रखना पड़ेगा।
सीलिएक रोग के बारे में हमारे समाज में जागरूकता बहुत कम है। चूंकि यह हमारे देश में एक नई बीमारी है, इसकी जानकारी हमारे बुजुर्गों में तो फ़िलहाल न के बराबर है। आप उनको यह गॉइडबुक ज़रूर दिखाइए और हो सके तो हमारी वेबसाइट भी। अन्यथा उनको हमसे मिलने लाइये या हमसे बात कराइये। हमें उनसे बात करने में खुशी होगी। हमें पूरा भरोसा है कि एक बार अपने बच्चे की तबियत ठीक होता देखकर वह भी पूरा परहेज करने में आपकी मदद ब्वचलत करेंगे। अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को भी आप इसी प्रकार समझा सकते हैं।
ग्लूटन की बहुत थोड़ी मात्रा भी बहुत हानिकारक हो सकती है।अनजाने में गलती हो सकती है लेकिन ध्यान रखिए कि गलती अगर बार-बार हुई तो भगवान भी माफ़ नहीं करेगा! थोड़ी मात्रा में ग्लूटनखाने से पेट दर्द, उल्टी, दस्त हो सकता है,साथही आंतों को नुकसान। कई बार, खाने के तुरंत बाद कुछ तकलीफ़ महसूस नहीं होती है लेकिन आंतों को नुकसान जरूर पहुँचता है। इसका असर कुछ महीनों में नहीं तो कुछ सालो में शरीर के विभिन्न अंग या अंगों में दूसरी जटिल बीमारियों के रूप में दिखेगा।
हाँ, आपको स्कूल में प्राध्यापक और शिक्षक से जरूर बात करनी चाहिए। हमारी स्कूल के लिए चिट्ठी है जो आप उन्हें ज़रूर दीजिए। आपके बच्चे के खाने के परहेज के बारे में उन्हें पताहोना अत्यंत जरूरी है।
नहीं, यह एक मान्यता है कि यह एक विदेशी औरअनोखी बीमारी है। सच तो यह है कि दुनियाभर में सीलिएक रोग पाया जा रहा है।
यह माना जाता है कि हमारे देश में उत्तर के राज्यों में करीब 70 लाख लोगों को यह बीमारी होगी जिनमें से ज्य़ादातर लोगों में अभी निदान नहीं हो पाई है।
नहीं। सीलिएक रोग उम्र के साथ ठीक नहीं होता है। यह एक आनुवंशिक और ओटोइम्यून(Autoimmune) बीमारी है।
नहीं। लेकिन एक संतुलित और पौष्टिक आहार का उपभोग करके और नवजात शिशु को स्तनपान कराके आप अपने बच्चे को कई तरह के स्वास्थ्यप्रद तत्व पहुँचा सकतीं हैं। सीलिएक रोग और कुछ और एलर्जी कुछ हद तक स्थगित भी हो सकतीं है।
हाँ, सीलिएक रोग होते हुए रक्त दान करना या रक्त प्राप्त करने में कोई दिक्कत नहीं है।
जरूर। आपका बच्चा ग्लूटन मुक्त आहार शुरू करने के पश्चात थोड़े हफ्तों या महीनों में बेहतर महसूस करेगा। बाकी बच्चों की तरह वह भी सभी गतिविधियों में भाग ले सकता है। खेलना उसकी सेहत के लिए लाभदायी ही होगा।
अगर सावधानी से चुनकर सारे परहेज के साथ खाना मंगाया जाए, तब बाहर खाना खाया जा सकता है। चूंकि होटलों में पूरी तरह ग्लूटन पर काबू रखना मुश्किल है, इसलिए बाहर खाने की आदत को कम से कम ही रखें। जब भी बाहर जाएँ, तब पूरी सावधानी बरतें। हमारे बनाए गए होटल कार्ड को अपने साथ रखें। हमारी कोशिश है कि सीलिएक रोग की जागरूकता इतनी बढ़ जाए कि एक दिन हमारे देश में दूसरे देशों की तरह ग्लूटन मुक्त रेस्टोरेंट खुल जाएँ।
ग्लूटन का सेवन तभी बंद करना चाहिए जब प्रमाणित हो कि आपको सीलिएक रोग है। कुछ परिस्थितियों में ज़रूरी होगा कि अगर बच्चा ग्लूटन नहीं खा सकता, तब उसके सामने घर के दूसरे सदस्य भी खाने की वह वस्तुएँ न खाएँ।
हाँ। क्योंकि सीलिएक रोग एक आनुवंशिक रोग है, यह परिवार के दूसरे सदस्यों को भी हो सकती है। डाक्टरों के द्वारा करे गए अनुसंधान में पाया गया है कि हर 10 सीलिएक मरीजों में से एक के घर में उसके माता-पिता, भाई-बहन, बच्चों को भी सीलिएक रोग होने की संभावना है। इसलिये डॉक्टर घर के सब सदस्यों का tTG करने की सलाह देते हैं।
हमारा सुझाव है कि आप घर के सदस्यों का tTG और 1gA टेस्ट ज़रूर कराएं, भले ही उन्हें किसी किस्म की तकलीफ़ हो या नहीं। अगर एक बार यह टेस्ट ठीक निकलता है, तब भी कोई तकलीफ होने पर बाद में इसको दोबारा कराएँ क्योंकि सीलिएक रोग किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है।
नहीं। सीलिएक रोग बच्चों और बड़ों सभी में होता है,लेकिन फ़िलहाल बच्चों में ज्य़ादा निदान चल रहा है।
नहीं। सीलिएक रोग आनुवांशिक रोग है। यह एकपीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाता है। उसको रोकने केलिए हम कुछ नहीं कर सकते हैं। अगर ग्लूटन बचपनसे कभी भी न खाया जाए, तब शायद सीलिएक रोगनहीं होगा। यह पाया गया है कि अगर बच्चों कोग्लूटन खाने में जल्दी दिया जाता है, तब इस बीमारीको होने की संभावना ज्य़ादा होती है। अगर बच्चों को6 से 7 महीने की उम्र में थोड़ी मात्रा में ग्लूटन देनाशुरू किया जाए और साथ ही माँ का दूध भी पिलायाजाए, तब सीलिएक रोग होने की संभावना कम या स्थगित हो सकती है।
हाँ। सीलिएक रोग के सही निदान के लिए बायोप्सी करना अत्यंत ज़रूरी है। tTG टेस्ट का परिणाम कई बार किसी और वज़ह से ज्य़ादा आ सकता है या फिर कभी सीलिएक रोग होते हुए भी कम आ सकता है। लेकिन बायोप्सी में आंतों को देखकर सीलिएक रोग के बारे में ठीक अनुमान लगता है। क्योंकि सीलिएक रोग होने पर जिंदगी भर परहेज़ करना पड़ता है, यह ज़रूरी है कि उसका निदान शत-प्रतिशत रूप से सही हो। याद रखें-बायोप्सी होने के पहले ग्लूटन का सेवन बंद न करें अन्यथा बायोप्सी का परिणाम ठीक नहीं आएगा।
नहीं।एंडोस्कोपी एक कष्टजनक प्रक्रिया नहीं है। वयस्कों में एंडोस्कोपी करते समय कुछ लोगों को असुविधा हो सकती है क्योंकि उनको इस प्रक्रिया के लिए बेहोश नहीं किया जाता है। परन्तु बच्चों को एण्डोस्कोपी बेहोश करके की जाती है। बच्चे को कोई कष्ट महसूस नहीं होता है न ही इस प्रक्रिया की कोई याद बनी रहती है। होश आने पर बच्चे आश्चर्यचकित होते हैं कि एंडोस्कोपी खत्म भी हो गई!
हाँ। एंडोस्कोपी एक सुरक्षित प्रक्रिया है-अगर एक विशेषज्ञ से अच्छे अस्पताल में कराई जाए। बच्चों के लिए बाल चिकित्सक के पास ही जाना चाहिए।
एंडोस्कोपी एक नवजात शिशु में भी सुरक्षित रूप से की जा सकती है।
नहीं। अगर सीलिएक रोग का निदान एंडोस्कोपी के पश्चात् हुआ है और बच्चे की तबियत में सुधार है, तब एंडोस्कोपी दोहराने की ज़रूरत नहीं है।
जाँच के १ महीने १५ दिन पहले रोज़ 2 गेहूँ की रोटी का सेवन करना ज़रूरी है। शरीर में इतना ग्लूटन होने पर ही जॉंच का नतीज़ा सही आएगा।
हाँ। ग्लूटन का परहेज़ करने के कुछ महीने पश्चात् tTG कम होने लगता है और एक से दो साल में सामान्य सीमा में आ जाता है।
हाँ, सीलिएक रोग किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है। इसलिए tTG का परिणाम निगेटिव होने के बावजू़द बाद में सीलिएक रोग विकसित होने पर पोजिटिव हो सकता है।
अगर ग्लूटन बंद करे हुए एक महीने से ज्य़ादा हो गया है, तब बायोप्सी का परिणाम ठीक नहीं आएगा। आपको अपने डॉक्टर के साथ चर्चा करके निर्णय लेना चाहिए।
हाँ। दो साल से कम उम्र में अगर बायोप्सी हुई है, तब दो साल ग्लूटन मुक्त खाना खाकर एक बार बायोप्सी दोहरानी चाहिए। तीसरी बायोप्सी डॉक्टर की सलाह पर कुछ सप्ताह ग्लूटन खिला कर की जानी चाहिए।
अगर तीन महीने में कोई सुधार नहीं हो, तब आप अपने डॉक्टर के पास ज़रूर जाएँ। सुधार होने पर भी हर साल डॉक्टर के पास जाना बहुत ज़रूरी है। हो सकता है कि आपके खाने में कहीं अनजाने में ग्लूटन मौज़ूद हो या कोई और रोग हो। ज़रूरी है कि आप एक विशेषज्ञ से राय लें।
वैज्ञानिक रूप से आज सीलिएक रोग का कोई इलाज नहीं है। हमें यह जानकारी नही है कि होमियोपैथी और आयुर्वेद में सीलिएक रोग का कोई वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित उपचार है। यह याद रखना ज़रूरी है किसीलिएक रोगके लक्षण मंद होने के पश्चात् या खत्म होने के पश्चात्, अगर ग्लूटन का दुबारा सेवन शुरूहो जाए, तब आंतों को फिर नुकसान होना शुरू हो जाएगा। उसका असर आज नहीं तो कुछ सालों में शरीर के विभिन्न अंग या अंगों में दूसरी बीमारियों केरूप में दिखेगा।
वैज्ञानिक मुखयतः तीन चीज़ों का परीक्षण कर रहे हैं:- टीका, जिससे सीलिएक रोग विकसित ही न हो या जिससे सीलिएक रोग का इलाज हो जाए।
-दवाई जिससे सीलिएक रोग ग्रस्त लोग ग्लूटन को पचा पाएँ।
-गेहूँ को परिवर्तित करने की कोशिश ताकि उसका सेवन हानिकारक न हो।
अगर खाने में सखत परहेज़ न किया जाए, तब इन लोगों में जटिल बीमारियाँ हो सकती है -जैसे कि खून की कमी, दुर्बलता, लिवर और हडि्डयों की बीमारियाँ, कैंसर आदि।
अगर ग्लूटन खाने में पूर्ण रूप से हटा दिया गया है तब tTG कुछ महीनों में कम होने लगता है और करीब 2 साल में सामान्य स्तर में आ जाता है। ग्लूटन मुक्त आहार बनाये रखना जरूरी है जिससे tTG सामान्य स्तर में बना रहे।
नहीं। सामान्य tTG आने का मतलब है कि आप ग्लूटन का परहेज़ उचित रुप से कर रहे हैं। tTG की मात्रा थोड़ा भी ग्लूटन खाने से फिर बढ़ जाएगी। याद रखिये कि सीलिएक रोग को खत्म नहीं किया जा सकता है, सिर्फ काबू में रखा जा सकता है- ग्लूटन से दूर रह कर।
ग्लूटन मुक्त खाद्य पदार्थों की सूची में आप देखेगें किज्यादातर पदार्थ हमारे देश में आसानी से उपलब्ध है।
नहीं ग्लूटन थोडी सी मात्रा में भी हानिकारक होता है।
आपके दोस्त में शायद बीमारी के कोई लक्षण प्रत्यक्ष रूप से दृश्य नही हों लेकिन उसकी आंतों को ग्लूटन खाने से जरूर नुकसान हो रहा होगा। इसका असर शरीर पर कुछ महीनों या सालों में दिखेगा।
नहीं।गेहूँ में जो पौष्टिक तत्त्व हैं,वह उसके एवज में खाये जाने वाले बाकी बीजों में पाये जाते हैं।
नहीं। अंडों और मांस में ग्लूटन नहीं होता है।
हाँ, कुछ दवाइयों में ग्लूटन पाया जाता है। ज्य़ादा जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट को पढ़ा जा सकता है या आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।
हाँ, शाकाहारी भोजन में सारे पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं।
इस रोग के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए क्लिक करें -सीलिएक इंडिया
स्त्रोत : डॉ पंकज वोहरा, पीडीऐट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट,सीलिएक इंडिया गैर लाभकारी संगठन
Last Modified : 2/21/2020
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