स्कूलों एवं आंगनवाड़ियों में सुरक्षित एवं पर्याप्त पेय जल की उपलब्धता, सेनेटरी की सुविधाओं का प्रावधान तथा साफ़-सफाई की आदत डालना आदि पंचायत के जल एवं स्वच्छता कार्यक्रमों तथा पहलों के महत्वपूर्ण घटक हैं जिसके कारण निम्नलिखित हैं:
स्कूलों में पेय जल, स्वच्छता एवं साफ़-सफाई के महत्व को ध्यान में रखते हुए दुनिया भर में स्कूल जलापूर्ति, स्च्चता एवं साफ-सफाई की शिक्षा (एस.एस.एच.ई) कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जा रहा है ।
एसएसएचई कार्यक्रम के प्रमुख घटक इस प्रकार हैं:
उपर्युक्त के अलावा, इस कार्यक्रम के तहत “सॉफ्टवेयर” की गतिविधियाँ शामिल हैं जैसे कि स्वास्थ्य एवं सेनेटरी क्लब, स्कूलों के प्रधानाचार्यो एवं शिक्षकों आदि के लिए उन्मुखीकरण कार्यक्रम ।
स्कूलों में पेय जल तथा स्वच्छता के प्रावधान के लिए सर्वशिक्षा अभियान (एस.एस.ए), राष्ट्रीय ग्रामीण पेय जल कार्यक्रम (एन.आर.डी.डब्ल्यू.पी), निर्मल भारत अभियान/मिशन स्वच्छ भारत (एन.बी.ए/एम.एस.बी) तथा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एम.जी.एन.आर.ई.जी.एस) से सहायता प्राप्त की जा सकती है ।
भारत सरकार ने सभी राज्य सरकारों को भविष्य में इस तरह से पेय जल की योजनाएं तैयार करने की सलाह दी है कि उनके तहत शत प्रतिशत स्कूल शामिल हों ।
एसएसएचई तथा शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आर.टी.ई अधिनियम) में स्कूलों में पेय जल एवं स्वच्छता की आधारभूत सुविधाओं के लिए संस्तुत आयामों/विनिर्देशों का विशेष रूप से उल्लेख है ।
शिक्षा के अधिकार (आर टी ई) अधिनियम के तहत ग्राम पंचायत के अधिकार
धारा 9:
धारा 32:
आंगनवाड़ी
पोषण, स्वच्छता एवं साफ़-सफाई की दृष्टि से प्रारंभिक बाल्यावस्था में जीवन की गुणवत्ता का बच्चे के शारीरिक एवं मानसिक विकास पर काफी प्रभाव होता है । सुरक्षित एवं देखभाल करने वाले माहौल के साथ यह बच्चों को जीवित रहने एवं शारीरिक और मानसिक स्वस्थ्य के साथ भावनात्मक दृष्टि से सुरक्षित, सामाजिक दृष्टि से सक्षम व्यक्ति के रूप में विकसित होने में समर्थ बनाता है ।
प्रारंभिक बाल्यावस्था में विकास के स्वरूप को देखते हुए साफ़-सफाई एवं स्वच्छता की गतिविधियाँ आंगनवाड़ियों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ।छोटे बच्चों के लिए इसके अंतर्गत सुरक्षित पेय जल का प्रावधान, स्वास्थ्य की दृष्टि से तैयार किया गया भोजन, खाने का साफ़ स्थान तथा निजी साफ़-सफाई के उपाय जैसे कि हाथ एवं शरीर के निचले अंगों को धोना आदि शामिल हैं ।
इस प्रकार स्कूल स्वच्छता एवं साफ़-सफाई के तहत अभिचिन्हित सभी कार्य एवं उपाय आंगनवाड़ियों पर भी लागू होते हैं । आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं को निम्नलिखित महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है:
स्कूल प्रबंधन समिति (एस एम सी)
निर्मल भारत अभियान तथा मनरेगा के तहत आंगनवाड़ी शौचालय के निर्माण को भी शामिल किया गया है । यदि किसी निजी भवन में आंगनवाड़ी चल रहा है, तो उस भवन के स्वामी द्वारा शौचालय के निर्माण के लिए सहायता प्राप्त करने का भी प्रावधान है ।
परन्तु चाहे आंगनवाड़ी केंद्र सरकारी भवन में स्थित हो या निजी भवन में, बच्चों के लिए शौचालय ऐसे होने चाहिए जिनका बच्चे प्रयोग कर सकें तथा ये वयस्कों एवं बड़े बच्चों के लिए डिजाइन किए गए नियमित शौचालय के जैसे नहीं होने चाहिए ।
एस.एस.एच.ई के लिए ग्राम पंचायत द्वारा अपेक्षित कदम:
(क) यह बच्चों में स्वस्थ आदतें डालने में मदद करता है, जो स्वच्छता एवं साफ़-सफाई के प्रति सही दृष्टिकोण के साथ वयस्क बनते हैं ।
(ख) बीमारियों में कमी के कारण यह उनकी क्षमता तथा उनके शैक्षिक विकास को सुदृढ़ करता है ।
(ग) स्कूलों में स्वच्छता की समुचित सुविधाओं की उपलब्धता के माध्यम से यह पढ़ाई बीच में छोड़ने वाली लड़कियों की संख्या को घटाता है ।
(घ) यह बच्चों के स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार को बढ़ावा देता है ।
2. एसएसएचई कार्यक्रम के तहत स्कूलों में उपलब्ध कराई जाने वाली मुख्य सुविधाएँ क्या हैं?
(क) पर्याप्त संख्या में शौचालय एवं पेशाबघर ।
(ख) माहवारी के अपशिष्ट में निस्तारण के लिए प्रावधान के साथ लड़कियों के लिए अलग शौचालय एवं पेशाबघर ।
(ग) जलापूर्ति की सुविधाएँ ।
(घ) कचरा पेटी, सोक पिट, किचन गार्डन तथा ड्रेनेज सिस्टम ।
3. क्या प्राइवेट स्कूल एन बी ए/एम एस बी स्कीम के तहत शामिल हैं?
जी नहीं । केवल ग्रामीण सरकारी स्कूल शामिल हैं । प्राइवेट स्कूल छात्रों से फ़ीस लेते हैं और इसलिए उनसे ऐसी सुविधाएँ उपलब्ध कराने की अपेक्षा की जाती है ।
4. हाथ धोने की सुविधाएँ कैसे प्रदान करें?
हाथ धोने की समुचित सुविधाओं के बगैर केवल शौचालयों का प्रावधान अधूरा होगा । इसलिए, प्रत्येक शौचालय ब्लॉक में निम्नलिखित के साथ हाथ धोने की सुविधाएँ अवश्य उपलब्ध होनी चाहिए:
(क) वाश बेसिन या कोई अन्य उपयुक्त व्यवस्था ।
(ख) वाटर ड्रम ।
(ग) पानी का नियमित प्रावधान ।
(घ) बाल्टी, मग, ट्रे साथ साबुन ।
(ङ) अपशिष्ट जल के निस्तारण के लिए व्यवस्था ।
5. क्या स्कूल स्वच्छता कार्यक्रम में लड़कियों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है?
जी हाँ । निश्चित रूप से । ऐसा निम्नलिखित कारणों से है:
(क) स्कूल प्रबंधन समिति (एस एम सी) ।
(ख) प्रधान अध्यापक एवं अन्य शिक्षक ।
(ग) अभिभावक तथा समुदाय के अन्य सदस्य ।
(घ) ग्राम पंचायत ।
(ङ) अन्य जैसे कि गैर सरकारी संगठन, ग्राम संगठन, स्वास्थ्य कर्मी आदि ।
यह एक महत्वपूर्ण पहलू है । जब तक नियमित रूप से रखरखाव नहीं होगा, दोषपूर्ण शौचालय, अपर्याप्त जलापूर्ति, शौचालयों के अवरुद्ध होने, केवल स्टाफ द्वारा शौचालयों का प्रयोग आदि जैसी समस्याएं उत्पन्न होंगी । इसलिए एस एम सी के निर्णय के अनुसार नियमित अनुरक्षण कार्यक्रम संचालित करना होगा । नियमित आधार पर इसका सुनिश्चित करने के लिए किसी प्रेरित शिक्षक को नामित करना होगा ।
Last Modified : 2/21/2020
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