गर्भपातके बारे में काफी ग़लतफ़हमियाँ है। इसी कारण महत्त्वपूर्ण निर्णय लेन में कठिनाई होती है। गर्भपात के बारे में उचित जानकारी आवश्यक है। यह जानकारी आप ले तथा जरुरतमंद दंपतीयों को भी बतलाएँ। कुछ गर्भपात प्राकृतिक होते है। गर्भधारणा के २८ हफ्तों तक प्राकृतिक गर्भपात हो सकता है। २८ हफ्तों तक गर्भ गर्भाशय के बाहर जीवित नही रह सकता। तद्नंतर गर्भ जी सकता है।
कभी कभी कृत्रिम गर्भपात करना पडता है। इसके लिये सुरक्षित तथा वैध वैद्यकीय पद्धतीयॉं है। चोरी-छुपे और जान जोखीम में डालकर गर्भपात करवाने की कोई जरुरी नही होती। लेकिन वैद्यकीय गर्भपात सिर्फ २० हफ्तों तक ही किया जा सकता है। तद्नंतर गर्भपात करवाना अवैध तथा असुरक्षित है।
गर्भपात कानूनके अनुसार वैध कारण इस प्रकार है :-
गर्भपात जितने जल्दी किया जाय उतनी तकलीफ और खतरा कम होता है। इसके लिये मूत्र परिक्षण कर १० दिनोंमें ही गर्भसंभव की जानकारी मिल सकती है। गर्भपात के प्रमुख तरीके इस प्रकार है।
क. एम.वी.ए. तकनीक छ: हफ्तों से पूर्व निर्वात पंप से गर्भ निकाल सकते है। अत: ग्रीवा सुन्न नही करनी पडती है। इसके बाद क्युरेटिंग भी नही करना पडता है।
ख. क्युरेटिंग उर्फ डी.एन.सी. पद्धती – ये पद्धती ६-१२ हफ्तों तक प्रयोगमें लाई जा सकती है। इस पद्धती में गर्भाशयमुख नलिका विस्तारित करके अंदरूनी गर्भ निर्वात पंप से निकाल लेते है। इसके लिये केवल उस स्थान मात्र को इंजेक्शन लगाकर सुन्न करना पडता है। गर्भ निकालने पर गर्भाशय का अंतर्भाग खुरचकर निकाला जाता है। इस तरह के गर्भपात पश्चात अस्पताल में ३-४ घण्टे रहना पडता है। शासकीय अस्पतालों में यह गर्भपात मुफ्त में होता है। निजी अस्पतालों में इसे २-४ हजार तक खर्चा हो सकता है। यह रीती बिल्कुल सुरक्षित और विश्वसनीय है। लेकिन इसमें थोडा सा खतरा होता ही है। रक्तस्त्राव या कोख में सूजन जैसे दुष्परिणाम संभव है।
ग. दवा द्वारा गर्भपात :१२-२० हफ्तों तक प्रोस्टा ग्लॅडिन दवाई से गर्भ गिराया जाता है। गर्भाशय में गर्भ आवरण के चारो ओर इस दवाई को नली से फैलाया जाता है। इस दवाई से गर्भाशय में दाह होनेसे २-३ दिनोंमें गर्भ गिर जाता है। इस क्रिया में कुछ अधिक स्त्राव हो सकता है। इससे गर्भपात ना हो तो शस्त्रक्रिया द्वारा गर्भ खुरचकर निकाला जाता है। लेकिन इससे खर्च व तकलीफ बढती है। १२-२० हफ्तों के गर्भपात की अपेक्षा पहले ही गर्भपात करवाना हमेशा अच्छा है। अन्य रास्ता ना हो तभी इस पद्धती का प्रयोग करे।
घ. आर.यू. ४८६ यह रीति ६-८ हफ्तों के लिये है। इसे गर्भपात गोली कहते है। पहली गोली के २ दिन बाद दूसरी गोली खानी होती है। पहली गोली से गर्भाशय से रक्तस्त्राव शुरू होता है तो दूसरी गोली से गर्भाशय में दर्द शुरू होते है। इसके बाद ६-८ घण्टों में गर्भपात होता है। कभी कभी इसके बाद क्यूरेटिंग करना पडता है। डॉक्टरी सलाह के बिना अपने आप यह उपचार कभी भी ना करे।
स्त्रोत: भारत स्वास्थ्य
Last Modified : 2/3/2023
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