অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

झारखण्ड के विकास में स्वरोजगार की भूमिका

झारखण्ड के विकास में स्वरोजगार की भूमिका

परिचय

सरलतम एवं मूल अर्थ में विकास का आशय एक व्यक्ति के जीवन - स्तर को प्रभावित करने वाले विविध कारकों में से एक प्रमुख कारक आर्थिक स्थिति अथार्त आय है एवं आय प्राप्ति के लिए रोजगार आवश्यक है। वर्त्तमान संदर्भ में रोजगार के किसी भी अवसर या क्षेत्र में अत्यंत संघर्ष एवं प्रतिस्पर्धा हैं, स्थिति ऐसी है कि किसी भी काम के लिए ‘एक बुलाये, तेरह आए’ की उक्ति चरितार्थ हो रही है। रोजगार पाने के लिए जिस अनुपात में एक व्यक्ति को प्रयास, संघर्ष व एड़ी- चोटी एक करना पड़ता है’ उस समानुपात में पन्द्रह से बीस प्रतिशत प्रतिभागियों को ही अपने मनोनुकूल एवं समुचित स्तर के रोजगार की प्राप्ति हो पाती है। बेरोजगारी की समस्या सीता के दुखों की भांति दिन- दूनी चौड़ी होती जा रही है, ऐसे समय में स्वरोजगार की महत्ता ही एकमात्र उपाय है।

खासकर झारखण्ड एवं झारखण्डवसियों के परिद्रश्य में तो स्वरोजगार के माध्यम से जीविकोपार्जन आय सृजन करना अधिक प्रासंगिक प्रतीत होती हैं। स्वरोजगार से अभिप्राय ऐसे रोजगार से है जिसमें श्रम, पूँजी एवं रोजगार से संबंधित अन्य सभी क्रिया- कलापों को आदर्शत: केवल स्वयं वही व्यक्ति जिसका रोजगार हो व उसके परिवार के सदस्यगण या उसके साझेदार ही सम्पादित करें।

झारखण्ड के परिदृश्य में रोजगार

झारखण्ड के परिदृश्य में रोजगार अपनाना इसलिए अनुकूल है क्योंकि ‘स्वरोजगार’ को प्रभावित करने वाले आयामों यथा पूँजी, रोजगार करने के निपुणता इत्यादि की उपलब्धता अन्य राज्यों से बेहतर है, साथ ही साथ यहाँ स्वरोजगार के क्षेत्र भी विस्तृत हैं। स्वरोजगार की महत्ता को योजनाकारों ने काफी पहले ही आंक लिया और इसी के परिणामस्वरूप सम्प्रति अनके ऐसे  कर्यक्रमों एवं प्रावधानों का निर्माण का निर्माण व कार्यान्वयन किया जा रहा है, जिससे बेरोजगारों को ‘स्वरोजगार’ करने में काफी सहायता व प्रोत्साहन मिल रहा है। अब तक अनुभव एवं यथार्थ तथ्य यहीं है की जिस अनुपात में ‘स्वरोजगारन्मुख कार्यक्रमों’ के सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं, वह अन्यों की तुलना में अधिक संतुष्टिदायक हैं।

चूंकि झारखण्ड के मूल निवासी जनजाति हैं एवं जनजातियों की जनसंख्या व संकेंद्र्ण वाले क्षेत्रों की संख्या भी इतना पर्याप्त है कि इनके विकास के लिए  सरकारी, गैर सरकारी  एवं  स्वयं- सेवी संस्थानों की संख्या भी इस क्षेत्र में अन्य राज्यों के अपेक्षा ज्यादा है। अतएव स्वरोजगार करने के ले लोगों को प्रशिक्षित करने के माध्यम की उपलब्धता भी काफी हद तक बेहतर है। इसका ज्वलंत उदाहरण है बिसुनपुर क्षेत्र, खूँटी क्षेत्र, गुमला के आसपास का क्षेत्र इत्यादि। आज दे दौर में स्वरोजगार की प्रासंगिक इसलिए भी है क्योंकि रोजगार की संख्या जिसे अनुपात में है रोजगार के अवसर उससे काफी कम हैं। दूसरी ओर कुछ विशेष प्रकार के रोजगार के अतिरिक्त अधिकांश के संदर्भ में एक व्यक्ति को स्वरोजगार अपनाना ही अधिक लाभदायक है, क्योंकि इससे उसके श्रम एसं परिश्रम के समुचित पारिश्रमिक की प्राप्ति होगी। विकास का एक मापदंड व्यक्ति की कार्य क्षमता भी है। स्वरोजगार के संदर्भ में व्यक्ति को अपने रोजगार के प्रति अत्याधिक अपनत्व एवं एवं ममत्व उत्पन्न होत्ता है व लाभ का पूरा हिस्सा अपना हो जाने के कारण रोजगार को उन्नत करने की लालसा से हर कोई स्वेच्छा से अपनी कार्यक्षमता का अधिकतम प्रयोग करता है, जिससे व्यक्ति की कार्य क्षमता में भी अभिवृद्धि होगी।

अपने द्वारा किए गए सर्वेक्षणों एवं शोधों से स्पष्ट होता है कि किसी भी ऐसे व्यक्ति जिसका अपना स्वरोजगार है उसकी स्थिति उसी के स्तर के वैसे व्यक्ति से काफी उन्नत एवं बेहतर है, जो किसी दुसरे के यहाँ अपना श्रम बेच रहे थे हैं। उदहारण के लिए गोला क्षेत्र के हेसल एवं माचाताड़ इत्यादि में सामान्यत: चालीस से साथ रूपए में काम करते हैं वहीं कुछ व्यक्ति उसकी लगभग समान है किन्तु वह बांस, लाख के कीड़े इत्यादि का अपना रोजगार करते हैं। वे मासिक लगभग 3- 7 हजार कमा लेते हैं। इस तरह उन्हें परिश्रम एवं मेहनत भी अपेक्षाकृत कम करने के बावजूद अधिक आय की प्राप्ति होती है। साथ-ही- साथ उनमें सृजनात्मक क्षमता एवं दृष्टिकोण में काफी विकसित  हो रही हैं।

स्रोत: जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची

Last Modified : 1/18/2024



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate