অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

राष्ट्रीय रुर्बन मिशन(एनआरयूएम)

राष्ट्रीय रुर्बन मिशन(एनआरयूएम)

  1. भूमिका
  2. राष्ट्रीय रुर्बन मिशन(एनआरयूएम) का  विजन
  3. मिशन के उद्देश्य
  4. मिशन के परिणाम
  5. 'रुर्बन क्लस्टर' क्या है
  6. वांछनीय घटकों और योजनाओं में अभिसरण
  7. समेकित क्लस्टर कार्य योजनाएं (आईसीएपी) और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट(डीपीआर)
  8. संस्थागत फ्रेमवर्क
    1. राष्ट्रीय स्तर
    2. राज्य स्तर
    3. क्लस्टर स्तर
    4. पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका
  9. अधिकार प्राप्त समितियां
  10. राज्यों द्वारा अपनाई जाने वाली चरण-दर-चरण प्रक्रिया
  11. 'रुर्बन क्लस्टरों' का चयन
  12. परियोजना का वित्तपोषण
  13. प्रशासनिक लागत
  14. निधियों की रिलीज और निधि प्रवाह तंत्र
  15. क्षमता विकास
  16. कार्यान्वयन कार्यनीति
  17. निगरानी एवं मूल्यांकन
  18. महिलाओं एवं सामाजिक वर्गों का समावेशन
  19. विविध

भूमिका

राष्ट्रीय रुर्बन मिशनभारत की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार भारत की ग्रामीण आबादी 833 मिलियन है जो कि कुल आबादी का लगभग 68 प्रतिशत है। इसके अलावा, 2001-2011की अवधि के दौरान ग्रामीण आबादी में 12 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है और उसी अवधि के दौरान गांवों की कुल संखया में 2279 की बढ़ोत्तरी हुई है। देश में ग्रामीण क्षेत्रों का विशाल भूखंड अकेली बस्ती का हिस्सा नही है बल्कि वह बस्तियों क्लस्टरों  का हिस्सा है, जो कि एक-दूसरे के समीप स्थित हैं। विकास की संभावना वाले इन क्लस्टरों का अपना आर्थिक महत्व है और इनके  कारण उनसे स्थानीय और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ भी मिलता है। इसलिए ऐसे क्लस्टरों के लिए ठोस  नीति-निर्देश बनाकर इनका विकास करने के बाद इन्हें 'रुर्बन' के रूप में श्रेणीकृत किया जा सकता है।

इसलिए इसे  ध्यान में रखते  हएु भारत सरकार ने  श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन का उद्देश्य आर्थिक,सामाजिक और  भौतिक अवसरंचनात्मक सुविधाओं की व्यवस्था करके ऐसे ग्रामीण क्षेत्र का विकास करना है। साथ ही आर्थिक दृष्टिकोण से और अवसंरचना व्यवस्था के लाभ को इष्टतम बनाने की दृष्टि से इन क्लस्टरों का लाभ उठाने के लिए मिशन ने अगले 5 वर्षों में 300 रुर्बन क्लस्टर बनाने का उद्देश्य रखा है। प्रस्तावित अपेक्षित सुविधाओं के साथ इन क्लस्टरों को तैयार किया जाएगा। इन क्लस्टरों के संकेंद्रित विकास के लिए इस मिशन के अंतर्गत उपलब्ध कराए जाने वाले आवश्यक पूरक वित्तपोषण के अलावा सरकार की विभिन्न योजनाओं के अभिसरण के माध्यम   से इनके लिए संसाधन जुटाए जाएंगे।इस मिशन को अब राष्ट्रीय रुर्बन मिशन (एनआरयूएम )कहा जाएगा।

राष्ट्रीय रुर्बन मिशन(एनआरयूएम) का  विजन

राष्ट्रीय रुर्बन मिशन (एनआरयूएम) में इस विजन का अनुपालन किया जाता है-अनिवार्य रूप से शहरी मानी जाने वाली सुविधाओं से समझौता किए बिना समता और समावेशन पर जोर देते  हएु ग्रामीण जनजीवन के  मूल स्वरूप का  बनाए रखते  हएु गाँव  के क्लस्टर का  'रुर्बन गाँव ' के रूप में विकसित करना है।

मिशन के उद्देश्य

राष्ट्रीय रुर्बन मिशन (एनआरयूएम) का उद्देश्य स्थानीय आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देना, आधारभूत सेवाओं में वृद्धि करना और सुव्यवस्थित रुर्बन क्लस्टरों का सृजन करना है।

मिशन के परिणाम

इस मिशन के अंतर्गत परिकल्पित वृहत्‌ परिणाम इस प्रकार हैं:

  1. ग्रामीण शहरी अंतर अर्थात आर्थिक, प्रौद्योगिकीय एवं सुविधाओं तथा सेवाओं से जुड़े अंतर को समाप्त करना।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी और बेरोजगारी उपशमन पर बल देते हुए स्थानीय आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना।
  3. क्षेत्र में विकास का प्रसार करना।
  4. ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करना।

'रुर्बन क्लस्टर' क्या है

'रुर्बन क्लस्टर' मैदानी और तटीय क्षेत्रों में लगभग 25,000 से 50,000 आबादी वाले तथा मरूभूमि, पर्वतीय या जनजातीय क्षेत्रों में 5,000 से 15,000 तक की आबादी वाले भौगोलिक रूप से एक-दूसरे के समीप बसे गांवों का एक क्लस्टर होगा। जहां तक व्यवहार्य हो सके, गांव का क्लस्टर ग्राम पंचायतों की प्रशासनिक अभिसरण की इकाई होगी और यह प्रशासनिक सुविधा की दृष्टि से किसी एक ब्लॉक/तहसील के अधीन होगा।

वांछनीय घटकों और योजनाओं में अभिसरण

आर्थिक कार्यकलापों से जुड़े प्रशिक्षण की व्यवस्था करके, कौशल एवं स्थानीय उद्यमिता का विकास करके और आवश्यक अवसंरचनात्मक सुविधाएं मुहैया कराकर ये रुर्बन क्लस्टर तैयार किए जाएंगे।

प्रत्येक क्लस्टर में वांछनीय घटकों के रूप में निम्नलिखित घटकों की परिकल्पना की गई हैः

  1. आर्थिक कार्यकलापों से संबद्ध कौशल विकास प्रशिक्षण
  2. कृषि प्रसंस्करण, कृषि सेवा, भंडारण और वेयर हाउसिंग
  3. साजोसामान से पूरी तरह लैस मोबाइल हेल्थ यूनिट
  4. विद्यालय/उच्चतर शिक्षा सुविधाओं का उन्नयन
  5. स्वच्छता
  6. पाइप के जरिए जलापूर्ति का प्रावधान
  7. ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन
  8. ग्रामीण गलियां तथा नालियां
  9. स्ट्रीट लाइट
  10. गांवों के बीच सड़क संपर्क
  11. सार्वजनिक परिवहन
  12. एलपीजी गैस कनेक्शन
  13. डिजिटल साक्षरता
  14. इलेक्ट्रॉनिक तरीके से नागरिक केंद्रित सेवाएं उपलब्ध कराने/ई-ग्राम कनेक्टिविटी के लिए सिटिजन सर्विस सेंटर।

इस प्रकार के क्लस्टर तैयार करते समय  कृषि और इनसे जुड़े कार्यकलापों से संबंधित घटकों पर विशेष बल दिए जाने की जरूरत होगी।

राष्ट्रीय रुर्बन मिशन (एनआरयूएम) के अंतर्गत उपर्युक्त परिकल्पित परिणामें  प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार इन क्लस्टरों के विकास से संबद्ध मौजूदा केंद्रीय क्षेत्र की, केंद्र प्रायोजित और राज्य सरकार की योजनाओं का निर्धारण करेगी और समयबद्ध एवं समेकित ढंग से उनके क्रियान्वयन में अभिसरण सुनिश्चित करेगी।यदि क्लस्टर के लिए वांछित परिणामें  हासिल करने में विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से उपलब्ध कराए जा रहे वित्तपोषण में कोई कमी रहती है|

तो, इसे पूरा करने के लिए भारत सरकार राष्ट्रीय रुर्बन मिशन (एनआरयूएम) फ्रेमवर्क  के अंतर्गत इन क्लस्टरों को क्रिटिकल गैप फंडिग (सीजीएफ) मुहैया कराएगी।शीघ्र अभिसरण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ग्रामीण विकास मंत्रालय इस मिशन के अंतर्गत चयनित ग्राम  पंचायतों को प्राथमिकता देने के लिए केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं/कार्यक्रमों के दिशा-निर्देशों में संशोधन करने का अनुरोध संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों से करेगा और इस प्रयोजनार्थ राज्य सरकारों/सं.रा. क्षेत्र प्रशासनों को उपयुक्त एडवाइजरी भी जारी करेगा।

समेकित क्लस्टर कार्य योजनाएं (आईसीएपी) और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट(डीपीआर)

  • राज्य सरकारें समेकित क्लस्टर कार्ययोजना तैयार करेंगी जिसमें क्लस्टर के विकास से जुड़ी आकांक्षाएं परामर्शी ढंग से निर्धारित की जाएंगी और इसमें एनआरयूएम के हिस्से के रूप में विचारित की जाने वाली पहलों, अभिसरण की जानेवाली योजनाओं, क्रियान्वयन संबंधी फ्रेमवर्क , एनआरयूएम  के क्रियान्वयन के परिणामें स्वरूप क्लस्टर में संभावित मिशन परिणामों का ब्यौरा दिया जाएगा।
  • समेकित क्लस्टर कार्ययोजना (आईसीएपी) एक ऐसा मुख्य दस्तावेज होगा जिसमें क्लस्टर की जरूरतों का उल्लेख करने वाले बेसलाइन अध्ययनों और इन जरूरतों को पूरा करने तथा क्लस्टर की क्षमता को बढ़ाने वाली प्रमुख पहलों को सम्मिलित किया जाएगा।
  • आईसीएपी से क्लस्टर के विकास की अंतिम लागत तथा विभिन्न केंद्रीय क्षेत्र, केंद्रीय प्रायोजित और राज्य सरकार की योजनाओं में अभिसरण के जरिए लागत को पूरा करने वाली अनुमानित संसाधन योजना लागत प्राप्त होगी।
  • क्लस्टर के लिए तैयार की गई आईसीएपी में निम्न का उल्लेख होगाः

  1. क्लस्टर में निर्धारित की गई प्रत्येक ग्राम   सभा के लिए विजन को समाहित करते हुए क्लस्टर की कार्यनीति,
  2. राष्ट्रीय रुर्बन मिशन (एनआरयूएम) के तहत क्लस्टर के लिए वांछित घटक,
  3. विभिन्न केंद्रीय क्षेत्र, केंद्रीय प्रायोजित और राज्य क्षेत्र की योजनाओं के तहत अभिसरण किए जाने वाले संसाधन,
  4. क्लस्टर के लिए अपेक्षित आवश्यक पूरक वित्तपोषण,
  5. सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि आईसीएपी में संपूर्ण क्लस्टर के लिए एक विस्तृत स्थानिक योजना तैयार की जाएगी।
  • इन योजनाओं में क्लस्टर क्षेत्रों का भलीभांति वर्णन किया जाएगा और ये क्लस्टर राज्यों/सं.रा.क्षेत्रों द्वारा विधिवत अधिसूचित किए जाने वाले आयोजना मानदंडों (जैसा कि राज्य नगर और प्रदेश आयोजना अधिनियमों/केंद्र या राज्य के इसी प्रकार के संविधियों में निर्धारित हैं) पर आधारित सुनियोजित लेआउट के हिसाब से बनाए गए सुव्यवस्थित क्षेत्र होंगे। इन स्थानिक योजनाओं को अंत में जिला प्लानों/मास्टर प्लानों, जैसा भी मामला हो, के साथ जोड़ दिया जाएगा।
  • आईसीएपी प्रस्तुत करते समय  क्लस्टर के लिए संगत राज्य अधिनियम   के अंतर्गत आयोजना क्षेत्र के रूप में क्लस्टर की घोषणा और मास्टर प्लान की तैयारी की अधिसूचना का प्रारूप भी मंत्रालय को प्रस्तुत किया जाएगा।
  • पदनामित राज्य तकनीकी सहायता एजेंसियों (आईसीएपी और स्थानिक योजनाएं तैयार करने में राज्य सरकारों की मदद करने के लिए मंत्रालय द्वारा सूची में डाली गई प्रतिष्ठित संस्थाएं) से प्राप्त जानकारियों के आधार पर राज्य सरकार प्रत्येक क्लस्टर के लिए आईसीएपी तैयार करेगी। राज्य सरकारों द्वारा इस प्रकार तैयार की गई आईसीएपी का मूल्यांकन मंत्रालय द्वारा इस प्रयोजनार्थ गठित किए गए विशेषज्ञ समूह द्वारा किया जाएगा।
  • राज्य सरकार जिला कलक्टरों/जिला परिषदों और संबंधित पंचायती राज संस्थाओं के साथ गहन परामर्श करके आईसीएपी तैयार करेगी और इसमें सभी संबंधित स्टेकहोल्डरों की भागीदारी और उनका स्वामित्व सुनिश्चित करेगी।
  • आईसीएपी तैयार किए जाने और रुर्बन क्लस्टरों के लिए घटकों का निर्धारण कर लिए जाने के बाद राष्ट्रीय रुर्बन मिशन (एनआरयूएम) के अंतर्गत क्रियान्वयन के लिए निर्धारित परियोजना घटकों के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएंगी। डीपीआर, जो कि 'निष्पादन के लिए अच्छा' दस्तावेज होगा, में आईसीएपी के अंतर्गत क्लस्टरों में चुने गए घटकों के लिए संबद्ध योजना दिशा-निर्देशों की जरूरतों और मानदंडों के अनुसार परियोजना घटक की लागत और डिजाइन का विस्तृत ब्यौरा होगा।

संस्थागत फ्रेमवर्क

राज्यों को एंकर और  क्रियान्वयनकर्ता मानते हुए राष्ट्रीय रुर्बन मिशन(एनआरयूएम) को मिशन मोड में क्रियान्वित किए जाने का प्रस्ताव है। इस फ्रेमवर्क में राष्ट्रीय, राज्य, जिला और ग्राम पंचायत स्तर पर स्टेकहोल्डरों को तैनात करने की परिकल्पना की गई हैः

राष्ट्रीय स्तर

केंद्रीय स्तर पर एनआरयूएम  का क्रियान्वयन

ग्रामीण विकास मंत्रालय में राष्ट्रीय रुर्बन मिशन (एनआरयूएम) के प्रभारी संयुक्त सचिव की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय मिशन निदेशालय द्वारा किया जाएगा। राष्ट्रीय मिशन प्रबंधन इकाई (एनएमें एमें यू) मिशन निदेशालय की सहायता करेगी।

राज्य स्तर

राज्य स्तर पर, राष्ट्रीय रुर्बन मिशन (एनआरयूएम )के प्रयोजनार्थ

  • ग्रामीण विकास विभाग या किसी एजेंसी या राज्य सरकार द्वारा नामित किसी भी विभाग को राज्य नोडल एजेंसी (एसएनए) के रूप में पदनामित किया जाएगा। विभाग/एसएनए में गठित राज्य परियोजना प्रबंधन इकाई (एसपीएमें यू) विभाग/एसएनए की मदद करेगी। यथा संभव चयनित एजेंसी राज्य सरकार के ग्रामीण विकास तथा/या पंचायती राज विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन होनी चाहिए।
  • राज्य तकनीकी सहायता एजेंसियां - मिशन इस मंत्रालय द्वारा सूची में डाले गए अग्रणी शैक्षिक संस्थाओं को राज्य तकनीकी सहायता एजेंसियों के रूप में उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भी करता है। राज्य क्लस्टरों के चयन, आईसीएपी तथा स्थानिक योजनाएं तैयार करने तथा इन प्रक्रियाओं में हरसंभव सहायता लेने के लिए इन्हें तैनात करेंगे।

जिला स्तर

जिला परियोजना प्रबंधन इकाई (डीपीएमयू) में अधिकतम  3 पेशेवरों (1) क्षेत्रीय आयोजना विशेषज्ञ,(2) अभिसरण विशेषज्ञ और (3) ग्रामीण विकास और प्रबंधन विशेषज्ञ) को तैनात किया जाएगा। जहां कहीं प्रधान मंत्री ग्रामीण विकास फेलो(पीएमें आरडीएफ) का पूल उपलब्ध हो वहां उस मौजूदा पूल का सहयोग भी लिया जा सकता है। आयोजना क्षेत्रों और संबंधित स्थानीय आयोजना मामलों की अधिसूचना जारी करने, समेकित और समयबद्ध ढंग से आईसीएपी में योजनाबद्ध स्कीमों में अभिसरण सुनिश्चित करने के लिए क्रियान्वयन विभागों/एजेंसियों के साथ अभिसरण करने की जिम्मेवारी इसी इकाई की होगी। डीपीएमयू कार्य-निष्पादन की निगरानी करने के लिए एसपीएमयू के साथ समन्वय भी करेगी।

क्लस्टर स्तर

क्लस्टर स्तर पर प्रत्येक रुर्बन क्लस्टर के लिए कम-से-कम दो पेशेवरों वाली क्लस्टर विकास एवं प्रबंधन इकाई (सीडीएमयू) स्थापित की जाएगी।इन पेशेवरों में

(1) स्थानिक आयोजना पेशेवर और

(2) ग्रामीण प्रबंधन/विकास पेशेवर शामिल होंगे।यह इकाई क्लस्टर के संबंध में स्थानिक आयोजना पहलुओं और आईसीएपी की तैयारी की निरंतर निगरानी करेगी तथा क्लस्टर में कार्यकलापों की प्रगति की भी निरंतर निगरानी करेगी और डीपीएमयू/एसपीएमयू को नियमित रूप से अद्यतन जानेकारियां उपलब्ध कराएगी।

पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका

राज्य नोडल एजेंसी क्लस्टरों में किए जाने वाले एनआरयूएम कार्यकलापों के संबंध में जिला, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यरत पंचायती राज संस्थाओं के साथ परामर्श करेगी।सभी भागीदार ग्राम पंचायतों की ग्राम सभाएं इस मिशन को ग्राम सभा और पंचायत समिति संकल्पों के जरिए अपनाएंगी। परियोजना अवधि के दौरान आयोजना, क्रियान्वयन,निगरानी और मूल्यांकन से लेकर सृजित परिसंपत्तियों के रख-रखाव तक परियोजना चक्र के सभी चरणों में पीआरआई सदस्यों को शामिल किया जाएगा।

अधिकार प्राप्त समितियां

निर्णय लेने के विभिन्न स्तरों पर अनुमोदन सुनिश्चित करने और इसे प्राप्त करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर निम्नलिखित अधिकार प्राप्त समितियों का प्रस्ताव किया जाता हैः

राष्ट्र-स्तरीय

(ईसी) का गठन

सचिव, ग्रामीण विकास मंत्रालय की अध्यक्षता में एक अधिकार-प्राप्त समिति (ईसी) का गठन ग्रामीण विकास मंत्रालय में किया जाएगा जो राज्यों द्वारा प्रस्तुत की गई आईसीएपी को अनुमोदित करेगी और क्लस्टर के लिए सीजीएफ को अनुमोदित करेगी तथा इस योजना के सफल क्रियान्वयन को सरल बनाने के लिए अन्य केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों का सहयोग सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक अन्य निर्णय एवं उपाय करेगी।

विशेषज्ञ समूह

संबंधित संस्थाओं और विभागों के प्रतिनिधियों तथा मिशन के संबंधित क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को मिलाकर ग्रामीण विकास मंत्रालय में एक विशेषज्ञ समूह बनाया जाएगा। अंतिम अनुमोदन के लिए अधिकार-प्राप्त समिति के पास आईसीएपी को भेजने से पूर्व इनका मूल्यांकन करना इस विशेषज्ञ समूह का कार्य होगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय मिशन अवधि के दौरान एनआरयूएम  से संबंधित मामलों पर विशेषज्ञ समूहों से समय -समय पर मार्गदर्शन भी ले सकता है।

राज्य स्तर

सचिव की अध्यक्षता में बनाई गई राज्य-स्तरीय अधिकार-प्राप्त समिति (एसएलईसी) आईसीएपी को मिशन निदेशालय में भेजे जाने से पूर्व इनकी सिफारिश/अनुमोदन करेगी और साथ ही योजना के क्रियान्वयन और प्रभावी समें न्वयन के लिए अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लेने की जिम्मेवारी इसी समिति की होगी।

जिला स्तर

संबंधित लाइन विभागों के अधिकारियों, बीडीओ और सरपंचों तथा संबंधित पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को मिलाकर जिला-स्तरीय समिति गठित की जाएगी। जिला कलक्टर इस समिति के अध्यक्ष होंगे। निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका रुर्बन परियोजना के शुभारम्भ/प्रमोचन के दौरान राज्य सरकार स्थानीय निर्वाचित प्रतिनिधियों जैसे सांसद, विधायक आदि की भागीदारी सुनिश्चित करेंगी।

राज्यों द्वारा अपनाई जाने वाली चरण-दर-चरण प्रक्रिया

क्लस्टरों के निर्धारण, आईसीएपी, डीपीआर की तैयारी और सीजीएफ आवेदनों की प्रस्तुति को अंतिम रूप देने के लिए राज्यों को चरण-दर-चरण दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत होगी। जिन चरणों का अनुपालन किया जाना है उनके बारे में नीचे बताया गया है :

चरण 1

राज्य-स्तरीय नोडल एजेंसी (एसएनए) की नियुक्ति

राज्य, रुर्बन मिशन के प्रयोजनार्थ राज्य-स्तरीय नोडल एजेंसी का निर्धारण करेंगे जो कि ग्रामीण विकास विभाग या कोई एजेंसी या राज्य सरकार द्वारा नामित कोई भी विभाग हो सकता है।

चरण 2

एसएलईसी का गठन

तत्पश्चात राज्य आईसीएपी और डीपीआर के अनुमोदन के लिए  सचिव की अध्यक्षता में राज्य-स्तरीय अधिकार-प्राप्त समिति (एसएलईसी) का गठन करेंगे।

चरण 3

राज्य तकनीकी सहायता एजेंसियों (एसटीएसए) का निर्धारण

राज्य-स्तरीय नोडल एजेंसी एसटीएसए को तैनात करेगी। ये एजेंसियां मंत्रालय द्वारा सूचीबद्ध की गई तथा राज्यों द्वारा तैनात की गई प्रतिष्ठित संस्थाएं हैं जो क्लस्टरों के चयन, आईसीएपी और स्थानिक योजनाएं तैयार करने में मदद करेंगी और इन प्रक्रियाओं में राज्यों की हरसंभव सहायता करेंगी।

चरण 2 और 3 के कार्यकलाप एक साथ चलाए जा सकते हैं|

चरण 4

क्लस्टरों का चयन

राज्य-स्तरीय नोडल एजेंसी मंत्रालय द्वारा अनुशंसित कार्यपद्धति का अनुपालन करते हुए एसटीएसए की सहायता से रुर्बन क्लस्टरों का निर्धारण करेगी। ग्राम पंचायतों को सक्रिय रूप से शामिल करते हुए जिला कलक्टर/सीईओ-जिला परिषद/डीडीओ के परामर्श से भी क्लस्टरों का चयन किया जाएगा।

चरण 5

रुर्बन क्लस्टर का अनुमोदन

एसएलईसी निर्धारित किए गए रुर्बन क्लस्टरों को अनुमोदित करेगी और अनुमोदन के लिए इन्हें मंत्रालय के पास भेजेगी। चयनित क्लस्टरों के साथ-साथ इन क्लस्टरों को संगत अधिनियम के अनुसार आयोजना क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित करने तथा इन क्लस्टरों में उपयुक्त भवन निर्माण और आयोजना विनिमय  लागू करने की राज्य की सहमति भी प्रस्तुत करनी होगी|

चरण 6

जिला-स्तरीय समितिया  का गठन

संबंधित लाइन विभागों  के  अधिकारियों  और  संबंधितगा्र में पंचायतों के  सरपंचों  का  मिलाकर जिला-स्तरीय समिति गठित की जाएगी।

चरण 7

आईसीएपी तैयार करना

राज्य-स्तरीय नोडल एजेंसी एसटीएसए की सहायता से तथा ग्राम पंचायतों को सक्रिय रूप से शामिल करते हुए जिला कलक्टर/सीईओ-जिला परिषद/डीडीओ के परामर्श से आईसीएपी तैयार करेगी।

चरण 6 और 7 के कार्यकलाप एक साथ चलाए जा सकते हैं|

चरण 8

राज्य परियोजना प्रबंधन इकाई (एसपीएमें यू) की स्थापना

इस मिशन में एसएनए की सहायता करने के लिए विभाग/एसएनए एक भरोसेमंद राज्य परियोजना प्रबंधन इकाई का गठन करेगा जो कि विभाग/एसएनए में स्थापित की जाएगी।

चरण 9

जिला परियोजना प्रबंधन इकाई (डीपीएमयू) की स्थापना

तत्पश्चात एसएनए प्रत्येक रुर्बन क्लस्टर के लिए कम -से-कम 3 पेशेवरों (क्षेत्रीय आयोजना पेशेवर, अभिसरण विशेषज्ञ और ग्रामीण प्रबंधन/विकास पेशेवर) को तैनात करते हुए डीपीएमयू की स्थापना करेगी।

चरण 10

एसएलईसी द्वारा आईसीएपी का अनुमोदन एवं जांच

तत्पश्चात्‌ राज्य-स्तरीय नोडल एजेंसी सीजीएफ आवेदन के साथ-साथ आईसीएपी आवश्यक अनुमोदन के लिए एसएलईसी को प्रस्तुत करेगी।

चरण 8, 9 और 10 के कार्यकलाप एक साथ चलाए जा सकते हैं|

चरण 11

ग्रामीण विकास मंत्रालय का  आईसीएपी एव  सीजीएफ आवेदन की प्रस्तुति

एसएलईसी द्वारा विधिवत अनुमोदित किए गए आईसीएपी और सीजीएफ आवेदन ग्रामीण विकास मंत्रालय को मूल्यांकन एवं अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किए जाएंगे।

चरण 12

डीपीआर तैयार किया जाना

ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आईसीएपी को अनुमोदित किए जाने के बाद एसएनए आईसीएपी में निर्धारित किए गए अलग-अलग घटकों के लिए डीपीआर तैयार करेगी और संबद्ध योजना दिशा-निर्देशों के मानदंडों और जरूरतों के अनुरूप संबंधित लाइन विभागों से प्रत्येक डीपीआर के लिए अनुमोदन लेगी।

चरण 13

अनुमोदित डीपीआर और सीजीएफ आवेदनों को एसएलईसी को प्रस्तुत किया जाना

एसएनए डीपीआर अनुमोदनों के साथ-साथ पूरी तरह भरे हुए सीजीएफ आवेदन को अनुमोदन के लिए एसएलईसी को प्रस्तुत करेगी।

चरण 14

अनुमोदित सीजीएफ आवेदनों को ग्रामीण विकास मंत्रालय को प्रस्तुत किया जाना

एसएनए तब एसएलईसी द्वारा अनुमोदित सीजीएफ आवेदनों को अनुमोदन हेतु ग्रामीण विकास मंत्रालय को भेजेगी।

चरण 15

कार्यस्थलों पर कार्यकलापों की शुरूआत

सीजीएफ आवेदनों को मंजूरी मिल जाने के पश्चात एसएनए आईसीएपी में प्राथमिकता प्राप्त निर्धारित घटकों के संदर्भ में कार्यस्थलों पर कार्यकलाप शुरू करेगी।

'रुर्बन क्लस्टरों' का चयन

रुर्बन क्लस्टरों के चयन की प्रक्रिया को मंत्रालय और राज्य आगे दर्शाए गए ब्यौरे के अनुसार चलाएंगे। मंत्रालय रुर्बन क्लस्टरों के संभावित स्थानों (उप जिलों) का निर्धारण करेगा और राज्य उस उप जिलों में रुर्बन क्लस्टर के रूप में एक-दूसरे के नजदीक स्थित गाँवों का निर्धारण करेगा।

एनआरयूएम  के क्लस्टरों की दो श्रेणियां होंगी,गैर-जनजातीय और  जनजातीय तथा इन दोनों  श्रेणियों में से प्रत्यक के  लिए चयन की प्रक्रिया अलग-अलग होगी|

  • गैर-जनजातीय क्लस्टर
  • गैर-जनजातीय क्लस्टरों के चयन के लिए मंत्रालय प्रत्येक राज्य को उन शीर्ष उप जिलों की सूची उपलब्ध कराएगा, जिनमें क्लस्टरों का निर्धारण किया जा सके। मंत्रालय इन उप जिलों का चयन
  1. दशक के दौरान ग्रामीण आबादी में हुई वृद्धि,
  2. दशक के दौरान गैर-कृषि कार्यों की भागीदारी में हुई वृद्धि,
  3. आर्थिक क्लस्टरों की उपस्थिति
  4. पर्यटन एवं धार्मिक महत्व के स्थानों की उपस्थिति और
  5. परिवहन गलियारों से नजदीकी जैसे पैरामीटरों के आधार पर करेगा।

प्रत्येक पैरामीटर को उपयुक्त वेटेज दी गई है।इसके बाद मंत्रालय द्वारा इस प्रकार निर्धारित इन उप-जिलों में राज्य सरकारें क्लस्टरों का चयन कर सकती हैं और ऐसा करते समय  आगे दर्शाए गए निष्पादन पैरामीटरों को शामिल कर सकती हैं:

  1. दशक के दौरान ग्रामीण आबादी में वृद्धि
  2. भूमि की कीमतों में वृद्धि
  3. दशक के दौरान गैर-कृषि कार्यों की भागीदारी में वृद्धि
  4. माध्यमिक विद्यालयों में बालिकाओं के नामांकन का प्रतिशत
  5. प्रधान मंत्री जन धन योजना के अंतर्गत बैंक खातों वाले परिवारों का प्रतिशत
  6. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में निष्पादन
  7. ग्राम पंचायतों द्वारा शुरू की गई सुशासन पहलें

राज्य किसी भी अन्य कारक जो प्रासंगिक हो, शामिल करने हेतु विचार कर सकते हैं । हालांकि, 80% की कुल वेटेज पहले 4 मापदंडों के लिए दिया जाएगा और राज्य अंतिम तीन मापदंडों का चयन अपने अनुसार करने के लिए 20%वेटेज दे सकते हैं ।

रुर्बन क्लस्टर का चयन करते समय  राज्य किसी ऐसे बड़े गाँव/ग्राम पंचायत का चयन कर सकता है, जो क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों के साथ विकास के केंद्र हों और क्षेत्र में आर्थिक बदलाव में अग्रणी भूमिका निभा सकते हों। ये विकास केंद्र ब्लॉक मुखयालय के गाँव, जनगणना टाउन (ग्राम पंचायतों के प्रशासनाधीन) हो सकते हैं। इसके बाद निर्धारित विकास केंद्र के आसपास 5-10 कि.मी. की परिधि (या जनसंखया घनत्व और क्षेत्र के भूगोल के अनुसार उपयुक्त परिधि) में भौगोलिक रूप से एक-दूसरे के नजदीक स्थित गाँवों का निर्धारण करके क्लस्टरों का गठन किया जा सकता है।

जनजातीय क्लस्टर

जनजातीय क्लस्टरों के निर्धारण के लिए मंत्रालय अनुसूचित जनजातीय आबादी के आधार पर देश के शीर्ष 100 जिलों में पड़ने वाले शीर्ष उप जिलों का चयन करेगा। इन उप-जिलों का चयन

  1. दशक के दौरान जनजातीय आबादी में हुई वृद्धि
  2. मौजूदा जनजातीय साक्षरता दर
  3. दशक के दौरान गैर-कृषि कार्यों की भागीदारी में हुई वृद्धि
  4. दशक के दौरान ग्रामीण आबादी में हुई वृद्धि और
  5. आर्थिक क्लस्टरों की उपस्थिति

जैसे पैरामीटरों के आधार पर किया जाएगा। उप जिलों का चयन करते समय  प्रत्येक पैरामीटर को उपयुक्त महत्व दिया गया है।

इसके बाद मंत्रालय द्वारा इस प्रकार निर्धारित इन उप-जिलों में राज्य सरकारें क्लस्टरों का चयन कर सकती हैं और ऐसा करते समय  आगे दर्शाए गए निष्पादन पैरामीटरों को शामिल कर सकती हैं:

  1. दशक के दौरान जनजातीय आबादी में हुई वृद्धि
  2. जनजातीय साक्षरता दरों में वृद्धि
  3. दशक के दौरान गैर-कृषि कामगारों की भागीदारी में वृद्धि।

उपर्युक्त तीन पैरामीटर के  अतिरिक्त ऐसे किसी अन्य कारक को भी शामिल किया जा सकता है, जिसे राज्य संगत समझें परंतु इन तीनों पैरामीटरों की वेटेज 80 प्रतिशत से कम न की जाए।रुर्बन क्लस्टर का चयन करते समय  उपर्युक्त खंड में उल्लिखित गुणवत्ता-परक पहलुओं के अतिरिक्त राज्य जनजातीय क्षेत्रों और गाँवों पर विशेष जोर देगा, ताकि जनजातीय क्षेत्रों का विकास सुनिश्चित हो सके।

परियोजना का वित्तपोषण

परियोजना

निर्धारित रुर्बन क्लस्टर को ऐसी परियोजना के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें उपर्युक्त 6.0 में उल्लिखित परियोजना के घटक शामिल हों। इस परियोजना का कार्यान्वयन परियोजना के घटकों के कार्यान्वयन के बीच समेकन और अभिसरण स्थापित करके तीन वर्षों की नियत समय -सीमा में किया जाएगा। इसके बाद प्रचालन और रखरखाव की अवधि 10 वर्ष होगी।

मिशन के अंतर्गत इस परियोजना को ही वित्तपोषण की इकाई माना जाएगा। परियोजना के लिए निधियां केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं, केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं और राज्य पोषित योजनाओं के अभिसरण के माध्यम   से जुटाई जाएंगी। विभिन्न योजनाओं के बीच अभिसरण के माध्यम   से जुटाई गई निधियों की कमी पूर्ति इस मिशन में परियोजना में क्रिटिकल गैप फंडिग (सीजीएफ) उपलब्ध कराकर की जाएगी।

केंद्र द्वारा प्रायोजित, केंद्र सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं का अभिसरण

रुर्बन क्लस्टर में समेकित कार्यान्वयन के लिए मौजूदा केंद्र द्वारा प्रायोजित, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं और राज्य की योजनाओं जैसी विभिन्न उपलब्ध योजनाओं का अभिसरण एनआरयूएम का आधारभूत सिद्धांत है। अतः, एनआरयूएम  में यह परिकल्पना की गई है कि योजनाओं के अभिसरण से प्राप्त निधियों का उपयोग प्रस्तावित कार्यक्रमों के विकास के लिए किया जाएगा और परियोजनाओं की अधिकांश पूँजीगत लागतों की पूर्ति इन निधियों से ही हो जाएगी।

क्रिटिकल गैप फंडिग (सीजीएफ)

विभिन्न योजनाओं के माध्यम   से परियोजनाओं के लिए उपलब्ध निधियों के अतिरिक्त सीजीएफ भी उपलब्ध कराई जाएगी। मिशन में संपूर्ण सीजीएफ का वित्तपोषण ग्रामीण विकास मंत्रालय के माध्यम से किया जाएगा। योजना की निधियों की उपलब्धता और आईसीएपी में यथा निर्धारित 'रुर्बन क्लस्टर' की विकास आकांक्षाओं के बीच अंतर की पूर्ति के लिए सीजीएफ का प्रावधान किया जाएगा। मैदानी क्षेत्रों में सीजीएफ की उच्चतम सीमा परियोजना के पूंजीगत व्यय का 30 प्रतिशत या 30 करोड़ रुपए, जो भी कम   हो, रखी जाएगी। मरुभूमि , पर्वतीय और जनजातीय क्षेत्रों में सीजीएफ की उच्चतम सीमा परियोजना के पूंजीगत व्यय का 30 प्रतिशत या 15 करोड़ रुपए, जो भी कम हो, रखी जाएगी|

सीएसआर के अधीन संसाधन

कार्यक्रम   के बेहतर कार्यान्वयन के लिए सीएसआर के अधीन संसाधनों में भी वृद्धि की जा सकती है। सीएसआर के माध्यम  से दी जाने वाली सहायता मानव संसाधनों की तैनाती के रूप में हो सकती है और यह आवश्यक नहीं कि यह वित्तीय अनुदानों के रूप में हो।

योजना के प्रचालन और रखरखाव व्यय की वसूली राज्य की प्रयोक्ता प्रभार नीति के अनुसार प्रयोक्ता प्रभार के रूप में की जाएगी उसमें रह जाने वाली कमी की पूर्ति राज्य के बजट से की जाएगी।

प्रशासनिक लागत

राष्ट्रीय स्तर

मिशन के प्रबंधन के लिए केंद्र में राष्ट्रीय मिशन प्रबंधन इकाई और अन्य व्यवस्थाओं के समर्थन के लिए राष्ट्रीय मिशन निदेशालय में हर वर्ष 2.5 करोड़ रुपए (वर्ष 2015-16 में सीजीएफ के 0.5 प्रतिशत) का बजट रखा गया है।

राज्य स्तर

एनआरयएू में  के समर्थन के  उद्देश्य से  परियोजना विकास एव  एसपीएमयू, डीपीएमयू, एसटीएसए और राज्य में अन्य सहायक व्यवस्थाओं की सहायतार्थ राज्य सरकारों को समर्थन प्रदान करने के लिए सीजीएफ की राशि के 2 प्रतिशत के बराबर प्रशासनिक बजट का प्रावधान किया गया है।

नवोन्मेष निधि

अनुसंधान और विकास, राज्य की तकनीकी सहायता एजेंसियों के वित्तपोषण, क्षमता विकास, पुरस्कारों तथा अन्य मिशन संबंधी कार्यकलापों के प्रावधान इत्यादि के लिए नवोन्मेष निधि के रूप में सीजीएफ के 5 प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त बजट का प्रावधान किया गया है।

निधियों की रिलीज और निधि प्रवाह तंत्र

रुर्बन क्लस्टरों के लिए अनुमोदित क्रिटिकल गैप फंडिग (सीजीएफ) को ग्रामीण विकास मंत्रालय से राज्य सरकार को अंतरित किया जाएगा, जो कि यह सुनिश्चित करेगी कि इसे एसएनए के समर्पित बैंक खाते में जमा किया जाए। एनआरयूएम  परियोजना के अनुमोदन के दौरान तय किए गए परियोजना के कार्यक्रम के अनुसार प्रत्येक क्लस्टर की सीजीएफ को तीन वर्षों की अवधि में तीन किस्तों में बाँटा जाएगा। इसके बाद एसएनए क्लस्टरों के विकास के लिए निधियां जिला स्तर पर समर्पितबैंक खाते को अंतरित करेगा। सीजीएफ से वित्तपोषण के लिए प्रस्तावित आईसीएपी के घटकों के लिए इस खाते से निधियों का उपयोग जिला कलक्टर/सीईओ जिला परिषद किया जाएगा। राज्य सरकारें/ग्राम पंचायतें रुर्बन क्लस्टर के लिए कोई अतिरिक्त निधि भी इन समर्पित बैंक खातों के माध्यम से प्रदान कर सकती हैं। क्लस्टर के लिए राष्ट्रीय रुर्बन मिशन (एनआरयुएमें) के अंतर्गत केंद्रीय क्षेत्र, केंद्र द्वारा प्रायोजित और राज्य क्षेत्र की जिन योजनाओं का अभिसरण किया जाना है, उनके संबंध में निधि प्रवाह व्यवस्था संगत योजना के दिशानिर्देशों के अनुरूप होगी और ये निधियां राज्य एवं जिला स्तर पर समर्पित बैंक खातों के माध्यम   से प्रदान नहीं की जाएंगी।

प्रशासनिक निधियों की रिलीज

मंत्रालय आईसीएपी तैयार करने के लिए प्रत्येक अनुमोदित रुर्बन क्लस्टर के लिए केवल 35 लाख रुपए रिलीज करेगा। प्रत्येक राज्य के 2 प्रतिशत प्रशासनिक बजट में इस राशि का समायोजन किया जाएगा।

निधि की रिलीज

निधि, परियोजना चक्र के चरणों में 3 किस्तों में रिलीज की जाएंगी -

मंत्रालय द्वारा आईसीएपी अनुमोदित किए जाने के बाद सीजीएफ के 30 प्रतिशत के  रूप में पहली किस्त रिलीज की जाएगी। एसएलईसी द्वारा डीपीआर अनुमोदन प्रस्तुत किए जाने और मंत्रालय द्वारा परियोजना का अंतिम  सीजीएफ अनुमोदित किए जाने  के बाद सीजीएफ की 30 प्रतिशत के रूप दूसरी किस्त रिलीज की जाएगी, जिसके  बाद कार्यस्थल पर निर्माण कार्य शुरू होगें । जीएफआर नियमों और मंत्रालय द्वारा क्षेत्रीय दौर  के अनुसार उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए जाने  के   बाद सीजीएफ का  40 प्रतिशत के रूप में तीसरी किस्त रिलीज की जाएगी।

परियोजना की तीसरी किस्त के रूप में प्राप्त सीजीएफ की 35 प्रतिशत राशि को एसएनए अंतरित करेगी और सभी परियोजना घटकों का निर्माण कार्य संपन्न हो जाने के बाद एसएनए सीजीएफ की शेष 5 प्रतिशत राशि अंतरित करेगी। एसएनए कार्यस्थलों के दौरे करके परियोजना के समापन का सत्यापन करेगी। समापन रिपोर्ट की प्रति सूचना एवं रिकॉर्ड के लिए मंत्रालय को भेजनी होगी।

क्षमता विकास

प्रशिक्षण और प्रशासनिक सहायता

एनआरयूएम की सहायता के उद्देश्य से एनआरयूएम  क्लस्टरों के कार्यान्वयन के प्रबंधन के लिए राज्य सरकार के स्तर पर क्षमता विकास और अन्य आईईसी कार्यकलापो के लिए पर्याप्त बजटों का प्रावधान किया गया है।

प्रशिक्षण मॉडूल

राज्य सरकार की पहलों के अतिरिक्त,मिशन निदेशालय राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और राज्य स्तरोंपर प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास कार्यकलाप चलाएगा।प्रशिक्षण और क्षमता विकास कार्यकलापों के लिए उपयुक्त निधियों का उपयोग किया जाएगा।

कार्यान्वयन कार्यनीति

कार्यनीतियों की श्रेणियाँ

अधिकार-प्राप्त समिति द्वारा सीजीएफ को अनुमोदित किए जाने के बाद निर्माण और प्रचालन एवं रखरखाव की अवधि में राज्य परियोजना के कार्यान्वयन के लिए उपयुक्त एजेंसियों की नियुक्तिया तो परंपरागत ठेकों या फिर अनुमोदित कार्यान्वयन योजना के अनुसार पीपीपी के माध्यम   से करेगा। कार्यान्वयन कार्यनीति के  घटक इस प्रकार हो सकते हैं-

पूँजीगत कार्य

कं ) राज्य सरकार की एजेंसियां द्वारा परियोजना के सभी घटकों  का कार्यान्वयन।

ख) पीपीपी के माध्यम से कार्यान्वयन।

प्रचालन और रखरखाव

एसएनए प्रचालन और रखरखाव (ओ एंड एमें ) की 10 वर्षों की अवधि के दौरान प्रचालन एवं रखरखाव के लिए एजेंसियों को या तो परंपरागत ठेकों या फिर आईसीएपी में निर्धारित की गई कार्यनीति के अनुसार निजी क्षेत्र के प्रचालनकर्ता के साथ प्रबंधन ठेकों के माध्यम   से नामित या नियुक्त करेगा। कार्यान्वयन कार्यनीति के  घटक इस प्रकार हो सकते हैं :

परियोजना के घटकों का ग्राम पंचायतों, राज्य सरकार की एजेंसियों या निजी भागीदारों द्वारा प्रचालन एवं रखरखाव।

परियोजना के जलापूर्ति, सीवरेज, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन इत्यादि के संयुक्त सुविधाओं के रूप में प्रचालन एवं रखरखाव के लिए निजी क्षेत्र के प्रचालकों के साथ प्रबंधन ठेका।

मंत्रालय पीपीपी मोड के माध्यम से शुरू किए जा सकने वाले घटकों के निर्धारण में राज्य सरकारों की सहायता के लिए दिशानिर्देश अलग से जारी करेगा। पीपीपी के मानक मॉडूल तैयार किए जाएंगे और राज्य सरकारें इन मानक मॉडूलों को अपना सकती हैं।

निगरानी एवं मूल्यांकन

इस योजना में प्रभावी निगरानी और मूल्यांकन की व्यवस्था होगी। सीजीएफ की तीसरी किस्त रिलीज करने से पहले क्षेत्रीय दौरे किए जाएंगे। इसके दल में मंत्रालय के साथ-साथ राज्य नोडल एजेंसी के अधिकारी शामिल होंगे। इस योजना के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर एक अलग से समयबद्ध वेब आधारित निगरानी तंत्र होगा ताकि सभी पहलुओं और घटकों को कवर किया जा सके। इस मिशन के अन्तर्गत प्रारम्भ की गई सभी कायक्रमों की जाने कारी प्रगति रिपोर्ट एवं फोटोग्राफ के माध्यम्‌ से पब्लिक डोमेन में उपलब्ध कराई जाएगी। इसी प्रकार विभिन्न चरणों में लिए गए परिसम्पत्तियों के फोटो अपलोड किए जाएंगे। प्रत्येक कार्यकलाप के तहत आईसीएपी में निश्चित किए गए वास्तविक और वित्तीय लक्ष्यों की तुलना में प्रत्येक तिमाही के परिणामों का मापन किया जाएगा।

महिलाओं एवं सामाजिक वर्गों का समावेशन

क्लस्टर स्तर पर मिशन की आयोजना और कार्यान्वयन के समय  सामाजिक वर्गों और महिलाओं के समावेशन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और समस्याओं का समाधान किया जाएगा। इसे राज्यों द्वारा प्रस्तुत की जा रही आईसीएपी में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा।

अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, विकलांग व्यक्तियों और ऐसे वृद्ध व्यक्ति जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। अकेली महिलाओं तथा सामाजिक रूप से बहिर्वेशित समुदायों की विशिष्ट जरूरतों एवं विकास संबंधी आवश्यकताओं के समाधान वाले विशिष्ट कार्यकलापों को क्लस्टर स्तर पर बजटों में शामिल किया जाएगा। आईसीएपी और सीजीएफ आवेदनों का मूल्यांकन करते समय  मंत्रालय इस पहलू की विशेष रूप से समीक्षा करेगा।जहां कहीं उपयुक्त हो वहां मिशन के सभी चरणों में महिलाओं को  धारा में लाया जायेगा और महिला संबंधी बजट सुनिश्चित किया जाएगा।

विविध

पुरस्कार और सम्मान

अच्छे कार्य के लिए पुरस्कार और सम्मान इस योजना की विशेषता होगी। इससे स्टेकहोल्डरों को बेहतर कार्यान्वयन के प्रयास करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

लेखा परीक्षा

लेखा परीक्षा की प्रक्रिया और मानदंड भारत सरकार द्वारा समय -समय  पर जारी किए जाने वाले दिशानिर्देशों के अनुसार होंगे।

मध्यस्थता

जहाँ कहीं आवश्यकता हो, वहाँ शिकायतों और विवादों के संबंध में मध्यस्थता प्राधिकारी ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव होगें। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव विवादों में मध्यस्थता के लिए उपयुक्त रैंक के अधिकारी को नामित कर सकते हैं।

विवाद समाधान

जहाँ कहीं एनआरयूएम  परियोजनाओं का कार्यान्वयन किया जा रहा है, वहाँ स्थानीय स्तर की शिकायतों के निवारण के लिए संबंधित एसएनए की अध्यक्षता में उपयुक्त शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की जाएगी। इसी प्रकार जहाँ कहीं ग्रामीण विकास मंत्रालय के दखल की आवश्यकता हो, वहाँ शिकायतों के निवारण के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की जाएगी।

सूचना, शिक्षा और संचार

सभी स्टेकहोल्डरों के बीचइस मिशन का प्रचार-प्रसार करने के लिए सूचना,शिक्षा और संचार सामग्री तैयार की जाएगी।

योजना के दिशानिर्देशों में आशोधन

अधिकार-प्राप्त समिति की सिफारिशों के अनुसार ग्रामीण विकास मंत्रालय इस योजना के कार्यान्वयन के दौरान आवश्यकतानुसार अतिरिक्त दिशानिर्देश, स्पष्टीकरण और आशोधन जारी करेगा।

स्रोत: राष्ट्रीय रुर्बन मिशन

Last Modified : 2/22/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate