1 जिला स्तर पर कार्यक्रम, निष्पादन एजेंसियों द्वारा समन्वित और कार्यान्वित किया जाएगा। हालांकि, सभी जिलों के लिए एक समर्पित कार्यक्रम कार्यान्वयन इकाई (पी आई यू) बनाना अपेक्षित है, विशेषकर उन सभी राज्यों, जो पी एम जी एस वाई के तहत प्रति वर्द्गा 75 करोड़ रू. या अधिक का वार्षिक आबंटन प्राप्त करते हैं और ऐसे सभी राज्य जो विदेशी सहायता प्राप्त परियोजनाओं में भाग लेते हैं, इनके लिए यह वांछनीय है। जिला स्तर पर कार्यक्रम कार्यान्वयन इकाई को प्रतिकात्मक रूप से एक अभियन्ता, जो कार्यकारी अभियन्ता की श्रेणी से कम का न हो, की अध्यक्षता में चलाई जा सकती है। सभी पी आई यू का प्रबन्ध उपलब्ध स्टाफ में से सक्षम तकनीकी कर्मचारियों द्वारा या प्रतिनियुक्ति पर आये कर्मचारियों द्वारा किया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए नए पद सृजित नहीं किए जाएंगे। अन्य राज्यों में पी एम जी एस वाई कार्यों का कार्यान्वयन कार्यकारी अभियन्ताओं द्वारा किया जाएगा। कार्यकारी अभियन्ता के साथ-साथ पी आई यू प्रमुख (जैसा भी मामला हो) को राज्य स्तरीय एजेंसी का अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, ताकि एजेंसी की निधियों के संचालन पर उन्हें सशक्त बनाया जा सके।
2 कर्मचारी संबंधी सभी खर्च को राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत स्टाफ संबंधी खर्च की कोई व्यवस्था नहीं है।
3 इस कार्यक्रम के तहत शुरु किए गए सड़क कार्यों के लिए कोई एजेंसी प्रभार स्वीकार्य नहीं होगी। निष्पादन एजेंसियों सेन्टेज चार्ज आदि जैसे कोई प्रभार नहीं लगाएगी। तथापि, परियोजना के शिलान्यास और उद्घाटन समारोहों पर संसद सदस्यों द्वारा प्रति समारोह 5,000 रू. तक का खर्च किया जा सकता है।
1 संबंधित परियोजनाओं को पी आई यू द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा तथा कार्य आदेश जारी करने की तारीख से 6 माह की अवधि के भीतर इसे पूरा किया जाएगा। परियोजनाओं के विलम्ब के कार्यान्वयन से बाद के वर्षों में प्रस्तावों की मंजूरी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। पी एम जी एस वाई में लागत वृद्धि की व्यवस्था नहीं है।
2 पर्वतीय राज्यों के अलावा पी एम जी एस वाई के अंतर्गत सड़क कार्यों को चरणों में शुरु नहीं किया जाएगा। एक बार सड़क कार्य शुरु हो जाने पर इसे निर्धारित समय-सीमा में अपेक्षित तकनीकीविनिर्देशों के साथ पूरा किया जाना चाहिए।
3 तथापि, पर्वतीय राज्यों (पूर्वोत्तर (असम को छोड़कर) सिक्किम, हिमाचल प्रदेद्गा, जम्मू व कश्मीर, उत्तराचंल) तथा अंडमान व निकोबार द्वीप समूह के मामले में कार्यकारी एजेंसी को दो काम के मौसम-लगभग 18 माह कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं को पूरा करने की अनुमति दी जा सकती है। पहले मौसम में कार्य को प्रारंभिक स्तर से स्थायित्व प्रदान किया जाएगा तथा बाद के काम के मौसम में धातु और ी परत चढ़ाई जाएगी।
4 चाहे समय-वृद्धि या किसी अन्य कारण से लागत वृद्धि को राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। ऐसी स्थिति से बचने के लिए कार्यकारी एजेंसी समुचित दण्डात्मक खांड शामिल करेगी जैसा कि मानक बोली दस्तावेज में उल्लिखित है।
5 प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का प्रमुख सिद्धांत निधियों के उपयोग को सुनिश्चित करना है ताकि आसानी से सड़क कार्य समय पर पूरा हो सकेे। यह जिम्मेदारी कार्यकारी एजेंसियों की होगी कि वे ठेकेदार का भुगतान समय पर करें बद्गार्ते कि कार्य का निष्पादन संतोषजनक हो। देय भुगतान में बिलम्ब से बचना चाहिए।
6 गुणवत्ता बरकरार रखने और कार्यों के समय पर पूरा होना सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय राज्यों के लिए प्रोत्साहन देने / प्रोत्साहन न देने की योजना बना सकती है।
मानव संसाधन विकास।
1 सड़क कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जिम्मदारी कार्यक्रम कार्यान्वित करने वाली राज्य सरकारों / संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासकों की होगी। इसके लिए सभी कार्यों का प्रभावी ढत्रष्ष् चत्रष्ष्झ
2 कार्यक्रम के अंतगर्त बनाई गई सड़कों के काफी बेहतर गुणवत्ता वाली सड़कें होने की संभावना है, इसलिए निर्माण कार्य पूरा होने के बाद (5) पांच तक किसी बड़ी मरम्मत की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए मानक बाली दस्तावेज में दिए प्रावधानों के अनुसार संविदा दस्तावेजों में निष्पादन गारंटी / दैनिक रखरखाव संबंधी समुचित खंडों को शामिल किया जाएगा। विद्गोद्गातया, राज्य सरकार ठेकेदार से कार्य के मूल्य के 10 प्रतिद्गात के लिए बैंक गारंटी लेगी जो 5 वर्षों की अवधि के लिए मान्य होगी तथा इसे रखरखाव के लिए जिम्मेदार पंचायती राज्य संस्थाओं के परामर्द्गा के बाद ही मुक्त किया जाएगा (देखिए पैरा 17.1)
3 प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत त्रि-स्तरीय गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली की परिकल्पना की गई है। राज्य सरकारें गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली के पहले दो स्तरों के लिए उत्तरदायी होगी तथा जिला और राज्य स्तर पर दो स्तरों की लागत भी वहन करेंगी। पी आई यू या कार्यकारी अभियंता प्रथम स्तर होगा जिसकी मुखय जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करने की होगी कि प्रयुक्त की गई सामग्री और कारीगर निर्धारित विनिर्देशों के अनुरूप है। वे यह भी सुनिश्चित करेंगे कि राष्ट्रीय ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी द्वारा निर्धारित सभी परीक्षण विद्गोद्गा व्यक्ति / प्राधिकारी द्वारा निर्धारित समय और सािन पर कराए जाते हैं।
4 गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली के दूसरे स्तर के रूप में कार्यों की आवधिक जांच राज्य सरकार द्वारा गठित / लगाए गए गुणवत्ता नियंत्रण एककों, स्वतंत्र कार्यकारी अभियन्ताओं / पी आई यू द्वारा कराई जाएगी। यह आद्गाा की जाती है कि इन अधिकारियों और एजेंसियों द्वारा याद्धाच्छिक परीक्षण किया जाएगा तथा ये राज्य सरकार की प्रयोगद्गाालाओं के साथ-साथ कतिपय मामलों में स्वतंत्र प्रयोगद्गाालाओं, जो राज्य तकनीकी एजेंसियों की हो सकती हैं, में परीक्षण में प्रयोग की गई सामग्रीयों के नमूने भी लेंगे। राज्य सरकारें इस बारे में अपेक्षित दिद्गाा-निर्देद्गा जारी करेंगी।
5 उल्लिखित दो स्तरों द्वारा कराए गए सभी परीक्षण परिणामों को आन-लाइन मैनजमेंट तथा निगरानी प्रणाली की संगत माडयूल में अनिवार्य रूप से दर्ज करना होगा।
6 प्रत्येक राज्य सरकार / संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासक राज्य स्तर पर राज्य गुणवत्ता समन्वयक के रूप में कार्य करने के लिए एक वरिश्ठ अभियंता (अधीक्षक अभियंता स्तर से कम न हो) नियुक्त करेंगे। वह राज्य / संघ राज्य क्षेत्र में गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली के संतोषजनक कामकाज का निरीक्षण करेगा / करेगी। इस कार्य में राष्ट्रीय गुणवत्ता निगरानी कर्ताओं की रिपोर्टों पर की गई अनुवर्ती कार्रवाई की जांच करना भी शामिल होगा। गुणवत्ता समन्वयक राज्य स्तरीय एजेंसी का हिस्सा होना चाहिए।
7 गुणवत्ता नियंत्रण
8 राष्ट्रीय गुणवत्ता निगरानी-कर्ता सड़क कार्यों, खासकर गुणवत्ता की जांच करेंगे। वे कार्यस्थल से नमूना लेंगे तथा किसी सक्षम तकनीकी एजेंसी / संस्थान से इसकी जांच कराएंगे। वे जिले में गुणवत्ता नियंत्रण तंत्र के कामकाज की रिर्पोट भी देंगे। निगरानीकर्ता आनलाइन मैनजमेंट तथा निगरानी प्रणाली के साधन के जरिए एन आर आर डी ए को अपनी रिर्पोट प्रस्तुत करेंगे। एन आर आर डी ए द्वारा एन क्यू एम की रिर्पोट राज्य सरकार को भेजी जाएगी ताकि निर्धारित समय में समुचित कार्रवाई की जा सके। कार्य प्रगति के बारे में अगर गुणवत्ता जांच में कार्य 'खराब' या 'औसत' पाया जाता है तो राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि ठेकेदार निर्धारित समय सीमा में सामग्री को बदलेगा या अपने कार्य को सुधारेगा (जैसा भी मामला हो)। एन क्यू एम रिर्पोट के बारे में राज्य सरकार प्रत्येक माह अपने पास लंबित पड़ी प्रत्येक रिर्पोट पर की गई कार्रवाई रिर्पोट देगी। कार्य प्रगति के दौरान 'खराब' तथा 'औसत' दर वाले सभी कार्यों की राज्य सरकार से सुधार रिर्पोट प्राप्त हो जाने के बाद एन क्यू एम द्वारा पुनः जांच की जाएगी।
9 राज्य सरकारें / संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासक उन ठेकेदारों तथा फील्ड अभियंताओं, जो सड़क कार्यों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने में लापरवाही बरतते हुए पाए जाते हैं, का पता लगाने और समुचित कार्रवाई (गंभीर मामलों में काली सूची में डालने सहित) करने के लिए प्रणालियां बनाएंगे। जहाँ ठेकेदार का पूर्ण कार्य 'खराब' या 'औसत' स्तर का पाया जाता है तो संबंधित ठेकेदार को राज्य द्वारा काली सूची में डाला जाएगा तथा भविष्यमें ऐसे ठेकेदार को पी एम जी एस वाई का कोई कार्य नहीं दिया जाएगा।
10 आन लाइन मैनेजमेंट और निगरानी प्रणाली में एक ऐसी व्यवस्था है जिसके द्वारा उस कार्य के विरूद्ध 'रेड पोल' आएगा यदि उस सड़क का कोई परीक्षण असफल पाया जाता है। इसी प्रकार, जहाँ एन क्यू एम में यह पाया गया है कि कार्य की गुणवत्ता 'खराब' या 'औसत' है, वहां कार्य के विरूद्ध रेड लैग आता है। रेड पोल के बारे में जब तक कार्य को सुधार नहीं लिया जाता और परीक्षण सफल नहीं होता है तब तक भुगतान न किया जाए। रेड लैग के बारे में जब तक अधीक्षक अभियन्ता (पी आई यू के संबंध में पी यू आई का अधीक्षक अभियन्ता) काम की जांच नहीं कर लेता तथा संतुष्ट नहीं हो जाता कि सभी खामियां दूर कर ली गई हैं, भुगतान नहीं किया जाएगा।
11 दिए गए जिले / राज्य में सड़क कार्यों की गुणवत्ता के बारे में प्रतिकूल रिर्पोटों से उस क्षेत्र में कार्यक्रम तब तक के लिए स्थगित हो सकता है जब तक खराब कार्य में निहित कारणों का पता नहीं लगाया जाता है।
12 राज्य गुणवत्ता समन्वयक / पी आई यू का प्रमुख कार्यों की गुणवत्ता के मामले में अभ्यावेदनोेें / द्गिाकायतों की जांच का प्राधिकारी होगा तथा 30 दिनों के भीतर समुचित जांच के बाद द्गिाकायत-कर्ता को उत्तर भेजने के लिए उत्तरदायी होगा। राज्य स्तरीय एजेंसी द्गिाकायतों को निपटाने की निगरानी करेगा तथा एन आर आर डी ए सभी द्गिाकायतों / अभ्यावेदनों को तत्परता से निपटाने को सुनिश्चित करने के लिए राज्य स्तरीय एजेंसियों के साथ सम्पर्क साधेगा।
1 कार्यक्रम का प्रभावी मानीटरिंग कठिन होने के कारण राज्य सरकारें / संयुक्त राज्य क्षेत्र प्रद्गाासन यह सुनिश्चित करेंगे कि अधिकारी राज्य स्तरीय एजेंसी तथा एन आर आर डी ए को अपेक्षित रिपोर्टें। जानकारी भेजने में देरी नहीं करते। ऑन लाइन प्रबंध और मानीटरिंग प्रणाली कार्यक्रम की मानीटरिंग के लिए प्रमुख तंत्र होगी। इस लक्ष्य के मद्देनजर, अधिकारियों को चाहिए कि वे समय पर एन.आर.आर.डी.ए द्वारा निर्धारित हर डॉटा और सूचना को उपयुक्त ऑनलाइन मैनेजमेंट और मॉनीटरिंग सिस्टम में प्रस्तुत करें। वे कम्प्यूटर हार्डवेयर और साटवेयर के अविच्छिन प्रबंधन और इंटरनेट संपर्कता के लिए जिम्मेदार होंगे। ओ.एम.एम.एस. के लिए साटवेयर एन.आर.आर.डी.ए द्वारा प्रदान किया जाएगा और उसे किसी भी स्तर पर राज्यों द्वारा बदला नहीं जाएगा, किसी भी बदलाव की आवश्यकता या सुझाव को एन.आर.आर.डी.ए. को सूचित किया जाना होगा। ओ.एम.एम.एस. पर डाटा को अद्यतन बनाने मेें लगातर असफल होने के परिणामस्वरूप, राज्य को आगे होने वाली रिलीजें प्रभावित हो सकती हैं।
2 नियमित और समयबद्ध तरीके से डाटा के भरे जाने को सुनिश्चित करने के अलावा, राज्य सरकार को जिले और राज्य स्तर पर कम्प्यूटर हार्डवेयर को व्यवस्थित करने हेतु आवश्यक कर्मचारी, स्थान और सुविधाएं प्रदान करना चाहिए। चूंकि ज्यादातर डाटा राज्य के सखर पर बसी होंगी इसलिए राज्य स्तरीय एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य सरवर 24 घंटे कार्यरत हो।
3 पी.आई.यू. / जिला स्तर पर क्लाइंट मद्गाीनों का राज्य सरवर और केन्द्र सरवर के साथ हार्डवेयर के प्रभावी अप-टाइम और इंटरनेट संपर्कता को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी कार्यकारी अभियंता / पी.आई.यू. के प्रमुख का है। सड़क कार्यों की प्रगति, गुणत्ता, प्रमाण जाँच के रेकार्डों के साथ-साथ किये गये भुगतान से संबंधित डाटा की परिशुद्धता और लगातार अद्यतन की जिम्मेदारी भी उस की होगी। वह यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक सड़क कार्य की तस्वीरें और वीडियो क्लिप्स नियमित तौर पर और कम से कम हर महीने एक बार सिस्टम में भरा जाय।
4 प्रत्येक राज्य सरकार, राज्य सूचना प्रौद्योगिकी समन्वय कर के रूप में कार्य करने हेतु एक ऐसे अफसर को पहचानेगा जिसके पास पर्याप्त वरिश्ठता और सूचना प्रौद्योगिकी में पर्याप्त ज्ञान हो। उसका कार्य होगा कि वह जिलों द्वारा दिए गए डाटा की परिशुद्धता और नियमितता पर नजर रखें। सूचना प्रौद्योगिकी समन्वयक, जो राज्य स्तरीय एजेंसी का एक भाग होगा, की जिम्मेदारी यह भी होगी कि वह हार्डवेयर और सॉटवेयर के रखरखाव पर नजर रखने के साथ-साथ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से जुड़े कर्मियों की प्रशिक्षण आवश्यकताओं का निरीक्षण भी करें।
5 मंत्रालय द्वारा गठित जिला निगरानी और मॉनीटरिंग समिति, पी एम जी एस वाई की प्रगति को भी मॉनीटर करेगा और उस पर निगरानी रखेगा।
1 परियोजना को अनुमोदनार्थ प्रस्तुत करते समय, प्रत्येक राज्य सरकार / संघ राज्य क्षेत्र प्रबंधन से आवश्यकता होगी कि वे एक उपयुक्त पंचायती राज संस्था (जिला पंचायत / मध्यवर्ती पंचायत) को पहचानने जो सारे कोर नेटवर्क के रखरखाव का काम ले, विशेषकरइस कार्यक्रम के अंतर्गत निर्मित / उन्नत किए गए सड़क कार्य। राज्य सरकार को आवश्यक निर्देद्गा जारी करने चाहिए जो पंचायती राज संस्थाओं को कार्य के कार्यान्वयन के हर स्तर से जोड़ दें, विशेषकरकार्य की प्रगति और गुणत्ता के संबंध में समय पर रिपोर्ट को भेजें। राज्य प्राधिकारियों से यह अन्डरटेकिंग प्रस्तुत करने की अपेक्षा होगी कि वे राज्य सरकार की निधियों से, रखरखाव के लिए अपेक्षित खर्च को (पहचानी गई पंचायती राज संस्था को) भेजेंगे। राज्य सरकारें उनके परियोजना प्रस्तावों के साथ रखरखाव लागतों को रिलीज के लिए भी एक अन्डरटेकिंग प्रस्तुत करेंगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय इस अन्डरटेकिंग के कार्यान्वयन की जांच करेगा। यह राज्य सरकारों / पंचायती राज संस्थाओं पर होगा कि वे रखरखाव के कार्य को करने हेतु धारणीय वैकल्पिक वित्तपोद्गाण के जरिए विकसित करें। इस बात का बड़ा महत्व है कि चूंकि कार्यक्रम के लिए बहुत बड़ी मात्रा में निवेद्गा हुआ है इसलिए राज्य सरकारों को चाहिए कि वे आर्थिक और अन्य सहायताएं प्रदान करने हेतु एक संतोषजनक तंत्र को लागू करे जिससे पी एम जी एस वाई की परिसम्पत्तियों का उपयुक्त रखरखाव हो और यही राज्य में कार्यक्रम को जारी रखने का कारण होगा।
2 ठेके के पूरे हो जाने पर (5 साल की गारंटी / रखरखाव के साथ) पी आई यू द्वारा ग्रामीण सड़कें निर्दिष्ट पंचायती राज संस्था को रखरखाव हेतु दे दी जाएंगी और ओ एम एम एस के अंतर्गत आने वाले सभी ऐसे केस की एक अलग रिपोर्ट बनाई जाएगी जिसमें पंचायती राज संस्था का नाम दिया जायेगा और ग्रामीण सड़क का अधिकार लेने की तारीख भी दर्ज की जाएगी।
स्त्रोत
Last Modified : 2/6/2023
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