जो कोई, कंप्यूटर, कंप्यूटर कार्यक्रम, कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेटवर्क के लिए उपयोग किए जाने वाले किसी कंप्यूटर साधन कोड को, जब कंप्यूटर साधन कोड का रखा जाना या अनुरक्षित किया जाना तत्समय प्रवृत्त विधि द्वारा अपेक्षित हो, जानबूझकर या संशया छिपाता है, नष्ट कराता है या परिवर्तित करता है अथवा साशय या जानबूझकर किसी अन्य से छिपवाता है, नष्ट कराता है या परिवर्तित कराता है तो वह करावास से, जो तीन वर्ष तक का हो सकेगा या जुर्माने से, जो दो लाख रूपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडनीय होगा ।
स्पष्टीकरण
इस धारा के प्रयोजन के लिए कंप्यूटर साधन कोड से कार्यक्रमों, कंप्यूटर समादेशों, डिजाइन और विन्यास का सूचीबद्ध करना तथा कंप्यूटर साधन का किसी भी रूप में कार्यक्रम विश्लेषण अभिप्रेत है ।
यदि कोई व्यक्ति, धारा 43 में निर्दिष्ट कोई कार्य बेईमानी से या कपटपूर्वक करता है, तो वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो पांच लाख रूपये तक का हो सकेगा या दोनों दंडनीय होगा ।
स्पष्टीकरण
इस धारा के प्रयोजनों के लिए
(क)ऐसी किसी सूचना को, जो अत्यधिक आक्रामक या धमकाने वाली प्रकृति की है; या
(ख)ऐसी किसी सूचना को, जिसका वह मिथ्या होना जानता है, किन्तु क्षोभ, असुविधा,खतरा,रूकावट,अपमान,क्षति या आपराधिक अभित्रास, शत्रुता, घृणा या वैमनस्य फैलाने के प्रयोजन के लिए, लगातर ऐसे कम्प्यूटर संसाधन या किसी संसूचना युक्ति का उपयोग करके; या
(ग)ऐसी किसी इलेक्ट्रॉनिक डाक या इलेक्ट्रॉनिक डाक संदेश को, ऐसे सदेशों के उदगम के बारे में प्रेषिती या पाने वाले को क्षोभ या असुविधा कारित करने या प्रवंचित या भ्रमित करने के प्रयोजन के लिए, भेजता है तो वह ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से दण्डनीय होगा ।
स्पष्टीकरण
इस धारा के प्रयोजनों के लिए इलेक्ट्रानिक डाक और इलेक्ट्रानिक डाक संदेश पदों से किसी कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली, कम्प्यूटर संसाधन या संचार युक्ति में सृजित या पारेषित या प्राप्त किया गया कोई संदेश या सूचना अभिप्रेत है, जिसके अंतर्गत पाठ, आकृति,आडियो,वीडियो और किसी अन्य इलेक्ट्रानिक अभिलेख के ऐसे संलग्नक भी हैं, जो संदेश के साथ भेजे जाए ।
स्पष्टीकरण
इस धारा के प्रयोजनों के लिए
(क)पारेषण से किसी दृश्यमान चित्र को इस आशय से इलेक्ट्रानिक रूप में भेजना अभिप्रेत है कि उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा देखा जाए;
(ख)किसी चित्र के संबंध में चित्र खीचना से वीडियो टेप, फोटोग्राफ, फिल्म तैयार करना या किसी साधन द्वारा अभिलेख बनाना अभिप्रेत है;
(ग)गुप्तांग से नग्न या अंत; वस्त्र सज्जित जननांग, जघन अंग, नितंब या स्त्री स्तन अभिप्रेत है;
(घ)प्रकाशित करने से मुद्रित या इलेक्ट्रानिक रूप में पुन; निर्माण करना और उसे जनसाधारण के लिए उपलब्ध कराना अभिप्रेत है;
(ङ)एकांतता का अतिक्रमण करने वाली परिस्थितियों के अधीन से ऐसी परिस्थितिया अभिप्रेत हैं, जिनमें किसी व्यक्ति को यह युक्तियुक्त प्रत्याशा हो सकती है कि
साइबर आतंकवाद के लिए दंड -
(1) जो कोई भारत की एकता अखंडता,सुरक्षा या प्रभुता को खतरे में डालने या जनता या जनता के किसी वर्ग में
आतंक फैलाने के आशय से और ऐसा करके ऐसा कार्य करता है जिससे व्यक्तियों की मृत्यु या उन्हें क्षति होती है या सम्पत्ति का नाश या विनाश होता है या होने की संभावना है। या यह जानते हुए कि इससे समुदाय के जीवन के लिए आवश्यक आपूर्ति या सेवाओं को नुकसान या उसका विनाश होने की संभावना है या धारा 70 के अधीन विनिर्दिष्ट संवेदनशील सूचना अवसंरचना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है;
(2 ) जानबूझकर या साशय किसी कम्प्यूटर संसाधन में प्राधिकार के बिना या प्राधिकृत
पहुंच से अधिक प्रवेश या पहुंच करता है और ऐसे कार्य द्वारा ऐसी सूचना, डाटा या कम्प्यूटर डाटा आधारसामग्री तक, जो राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेशी सबंधों के कारण निबंधित है या कोई निबंधित सूचना, डाटा या कम्प्यूटर डाटा आधारसामग्री तक यह विश्वास करते हुए पहुंच प्राप्त करता है कि इस प्रकार अभिप्राप्त ऐसी सूचना, डाटा या कम्प्यूटर डाटा आधारसामग्री का उपयोग भारत की प्रभुता और खण्डता, राज्य की सुरक्षा, विदेशों के साथ मैत्रीपूर्ण सबधों, लोक व्यवस्था, शिष्टता या नैतिकता के हितो को या न्यायालय की अवमानना के संबंध में, मानहानि या किसी अपराध के उत्प्रेरण के संबंध में किसी विदेशी राष्ट्र; व्यष्टि समूह के फायदे को क्षति पहुंचाने के लिए या अन्यथा किया जा सकता है या किए जाने की संभावना है, तो वह साइबर आतंकवाद का अपराध करेगा ।
(3) जो कोई साइबर आतंकवाद कारित या करने की कूटरचना करेगा, तो वह कारावास से,जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा,दंडनीय होगा ।
i. किसी इलैक्ट्रानिक रूप में ऐसी कोई सामग्री प्रकाशित या पारेषित करेगा या प्रकाशित या पारेषित कराएगा, जिसमें कामुकता व्यक्त करने वाले कार्य या आचरण में लगाए बालकों को चित्रित किया जाता है; या
ii. अश्लील या अभद्र या कामुकता व्यक्त करने वाली रीति में बालकों का चित्रण करने वाली सामग्री का पाठ या अंकीय चित्र किसी इलैक्ट्रानिक रूप में तैयार करेगा, संगृहीत करेगा,पढ़ेगा,डाऊनलोड करेगा,उसे बढ़ावा देगा, आदान-प्रदान या वितरित करेगा; या
iii. कामुकता व्यक्त करने वाले कार्य के लिए और उसके संबंध में या ऐसी रीति में बालकों को एक या अधिक बालकों के साथ ऑनलाइन संबंध के लिए लगाएगा, फुसलाए या उतेरित करेगा, जो कम्प्यूटर संसाधन पर किसी युक्तियुक्त वयस्क को बुरी लग सकती है; या
iv.ऑनलाइन बालकों का दुरुपयोग किए जाने को सुकर बनाएगा;
v.बालकों के साथ कामुकता व्यक्त करने वाले कार्य के संबंध में अपने दुर्व्यवहार को किसी इलैक्ट्रानिक रूप में अभिलिखित करेगा,
तो वह प्रथम दोषसिद्धि पर दोनों में से किसी भाति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, जो दस लाख रुपए तक का हो सकेगा, और दूसरी और पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी, जो दस लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडित किया जाएगा;
परन्तु धारा 67, धारा 67क और इस धारा के उपबंधों का विस्तार निन्नलिखित किसी पुस्तक, पर्चे, पत्र, लेख, रेखाचित्र, पेंटिंग, प्रदर्शन या इलैक्ट्रानिक रूप में आकृति पर नहीं है;
(i) जिसका प्रकाशन इस आधार पर जनकल्याण के रूप में न्यायोचित साबित किया गया हो कि ऐसी पुस्तक पर्चे, पत्र, लेख, रेखाचित्र, पेंटिंग, प्रदर्शन या आकृति, विज्ञान, साहित्य या शिक्षण या सामान्य महत्व के अन्य उद्देश्यों के हित में है; या
(ii) जो सद्भाविक परंपरा या धार्मिक प्रयोजनों के लिए रखी या प्रयुक्त की गई है ।
स्पष्टीकरण
इस धारा के प्रयोजनों के लिए बालक से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसने अठारह बर्ष की आयु पूरी नहीं की है ।
(1) मध्यवर्ती, ऐसी सूचना का, जो विनिर्दिष्ट की जाए, ऐसी अवधि के लिए और ऐसी रीति तथा रूप में जो केन्द्रीय सरकार विहित करे, परिरक्षण और प्रतिधारण करेगा ।
(2) ऐसा कोई मध्यवर्ती, जो साशय या जानबूझकर उपधारा (1) के उपबंधों का उल्लंघन करता है, कारावास जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी दंडनीय होगा और जुर्माने का भी दायीं होगा ।
नियंत्रक द्वारा आदेश द्वारा प्रमाणकर्ता प्राधिकारी या ऐसे प्राधिकारी के किसी कर्मचारी को आदेश में विनिर्दिष्ट उपाय करने या ऐसे क्रियाकलापों को बंद कर देने का निदेश दे सकेगा यदि वे इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों या किन्हीं विनियमों के किन्ही उपबंधों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं ।
(2) कोई व्यक्ति, जो उपधारा (1) के अधीन किसी आदेश का अनुपालन करने में साशय या जानबूझकर असफल रहेगा, अपराध का दोषी होगा और दोषसिद्धि पर कारावास का जिसकी अवधि दो वर्ष से अधिक की नहीं होगी या एक लाख रुपए से अनधिक के जुर्माने का या दोनों का दायीं होगा ।
किसी कम्प्यूटर संसाधन के माध्यम से किसी सूचना के अन्तररोधन या मानिटरिंग या विगूढ़न के लिए निदेश जारी करने की शक्ति
(1) जहां केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार या यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त विशेष रूप से प्राधिकृत उसके किसी अधिकारी का यह समाधान हो जाता है कि भारत की प्रभुता या अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण सबधों या लोक व्यवस्था के हित में अथवा उपरोक्त से संबंधित किसी संज्ञेय अपराध के किए जाने में उद्दीपन के निवारण या किसी अपराध के अन्वेषण के लिए ऐसा करना आवश्यक और समीचीन है, वहां वह उपधारा (2) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, लेखबद्ध किए जाने वाले कारणों से आदेश द्वारा समुचित सरकार के किसी अधिकरण को किसी कम्प्यूटर संसाधन में जनित, प्राप्त या भण्डारित किसी सूचना को अंतर्रुद्ध या मानीटर करने अथवा विगूढ़न करने अथवा अतर्रुद्ध या मानीटर कराने या विगूढ़न कराने का निदेश दे सकेगी ।
(2) प्रक्रिया और रक्षोपाय जिनके अधीन ऐसा अंतररोधन या मानीटरिंग या विगूढन किया जा सकेगा, वे होंगे, जो विहित किए जाएं ।
(3) उपयोगकर्ता या मध्यवर्ती या कम्प्यूटर संसाधन का भारसाधक कोई व्यक्ति, उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी अभिकरण द्वारा मांगे जाने पर, निम्नलिखित के लिए सभी सुविधाएं और तकनीकी सहायता करेगा
(4) ऐसा उपयोगकर्ता या मध्यवर्ती या कोई व्यक्ति जो उपधारा (3) में विनिर्दिष्ट अभिकरण की सहायता करने में असफल रहता है, कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा I
किसी कम्प्यूटर संसाधन के माध्यम से किसी सूचना की सार्वजनिक पहुंच के अवरोध के लिए निदेश जारी करने की शक्ति
(1) जहां केन्द्रीय सरकार या इस निमित्त उसके द्वारा विशेष रूप से प्राधिकृत उसके किसी अधिकारी का यह समाधान हो जाता है कि भारत की प्रभुता या अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबधों या लोक व्यवस्थाके हित में या उपरोक्त से सबधित किसी संज्ञेय अपराध के किए जाने में उद्दीपन को रोकने के लिए ऐसा आवश्यक और समीचीन है, वहां वह उपधारा (2) के उपबंधों के अधीन रहते हुए उन कारणों से जो लेखबद्ध किए जाएगे, आदेश द्वारा सरकार के किसी अभिकरण या मध्यवर्ती को किसी कम्प्यूटर संसाधन में जनित, पारेषित, प्राप्त, भंडारित या परपोषित किसी सूचना को जनता की पहुंच के लिए अवरुद्ध करने का दे सकेगा या उसका अवरोध कराएगा ।
(2) यह प्रक्रिया और रक्षोपाय, जिनके अधीन जनता द्वारा पहुंच के लिए ऐसा अवरोध किया जा सकेगा, वे होंगे, जो विहित किए जाएं ।
(3)वह मध्यवर्ती जो उपधारा (1) के अधीन जारी निर्देश का पालन करने में असफल रहता है, कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा
साइबर सुरक्षा के लिए किसी कम्प्यूटर संसाधन के माध्यम से ट्रैफिक आंकड़ा या सूचना मानीटर करने और एकत्र करने के लिए प्राधिकृत करने की शक्ति
(1)केन्द्रीय सरकार, देश में साइबर सुरक्षा बढाने और कंप्यूटर संदूषक की पहचान, विश्लेषण और अनाधिकार या फैलाव को रोकने के लिए राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, किसी कंप्यूटर संसाधन मे जनित,पारेषित प्राप्त या भंडारित ट्रैफिक आकड़ा या सूचना, मानीटर और एकत्र करने के लिए सरकार के किसी अभिकरण को प्राधिकृत कर सकेगी ।
(2) मध्यवर्ती या कम्प्यूटर संसाधन का भारसाधक कोई व्यक्ति, जब ऐसे अभिकरण द्वारा मांग की जाती है, जिसे उपधारा (1) के अधीन प्राधिकृत किया गया है, तकनीकी सहायता उपलब्ध कराएगा और ऑन-लाइन पहुंच को समर्थ बनाने के लिए ऐसे अभिकरण को सभी सुविधाएं देगा या ऐसे ट्रैफिक आंकडे या सूचना जनित, पारेषित, प्राप्त या भंडारित करने वाले कम्प्यूटर संसाधन को ऑन-लाइन पहुंच सुरक्षित कराएगा और उपलब्ध कराएगा ।
(3) ट्रैफिक आंकड़ा या सूचना को मानीटर और एकत्र करने के लिए प्रक्रिया और रक्षोपाय होंगे जो विहित किए जाएं ।
(4) ऐसा कोई मध्यवर्ती जो साशय या जानबूझकर उपधारा (2) के उपबन्धों का उल्लंघन करता है कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
स्पष्टीकरण
इस धारा के प्रयोजनों के लिए
(i) कम्प्यूटर संदूषक का वही अर्थ होगा जो धारा 43 में है;
(ii)ट्रैफिक आकडा से ऐसे किसी व्यक्ति, कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेटवर्क या अवस्थिति की पहचान करने वाला या पहचान करने के लिए तात्पर्यित कोई डाटा अभिप्रेत है जिसको या जिससे संसूचना पारेषित की गई या पारेषित की जाए और इसके अंतर्गत संसूचना उद्गम, गंतव्य मार्ग, समय तारीख, आकार की गई सेवा की अवधि या प्रकार और कोई अन्य सूचना भी है
(1) समुचित सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, किसी ऐसे कम्प्यूटर संसाधन को, जो प्रत्यक्षत; या अप्रत्यक्षतः नाजुक सूचना अवसंरचना की सुविधा को प्रभावित करता है संरक्षित प्रणाली घोषित कर सकेगी ।
स्पष्टीकरण
इस धारा के प्रयोजनों के लिए, नाजुक सूचना अवसंरचना से ऐसा कम्प्यूटर संसाधन अभिप्रेत है, जिसके अक्षमीकरण या नाश से राष्ट्रीय सुरक्षा अर्थव्यवस्था लोक स्वास्थ्य या सुरक्षा कमजोर होगी ।
(2) समुचित सरकार, लिखित आदेश द्वारा, ऐसे व्यक्ति को प्राधिकृत कर सकेगी जो उपधारा (1) के अधीन अधिसूचित सरक्षित प्रणाली तक पहुंचने के लिए प्राधिकृत है ।
(3) कोई व्यक्ति, जो इस धारा के उपबंधों के उल्लंघन में किसी सरक्षित प्रणाली तक पहुंच प्राप्त कर लेता है या पहुंच प्राप्त करने का प्रत्यन करता है, दोनों में से किसी भाति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा ।
(4) केन्द्रीय सरकार, ऐसी संरक्षित प्रणाली के लिए सूचना सुरक्षा पद्धतियां और प्रक्रियाएं विहित करेगी ।
(1) केन्द्रीय सरकार राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा, सरकार के किसी संगठन को नाजुक सूचना अवसंरचना संरक्षण की बाबत राष्ट्रीय नोडल अभिकरण प्रभिहित कर सकेगी ।
(2) उपधारा (1) के अधीन अभिहित राष्ट्रीय नोडल अभिकरण सभी उपायों के लिए उत्तरदायी होगा जिसके अंतर्गत नाजुक सूचना अवसंरचना के संरक्षण से संबंधित अनुसंधान और विकास भी है।
(3) उपधारा (1) में निर्दिष्ट अभिकरण के कृत्यों और कर्तव्यों के पालन की रीति वह होगा-जों विहित की जाए ।
दुर्घटना मोचन के लिए भारतीय कम्प्यूटर आपात मोचन दल का राष्ट्रीय आपात अभिकरण के रूप में सेवा करना
(1) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, सरकार के किसी अभिकरण को नियुक्त करेगी जिसे भारतीय कम्प्यूटर आपात मोचन दल कहा जाएगा ।
(2) केन्द्रीय सरकार, उपधारा (1) में निर्दिष्ट अभिकरण में एक महानिदेशक और ऐसे अन्य प्रधिकारी तथा कर्मचारी उपलब्ध कराएगी जो विहित किए जाएं ।
(3) महानिदेशक और अन्य अधिकारियों तथा कर्मचारियों के वेतन और भत्ते तथा उनकी सेवा के और शर्ते वे होंगी जो विहित की जाएं ।
(4) भारतीय कम्प्यूटर आपात मोचन दल साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में निम्नलिखित कृत्यों का पालन करने वाले राष्ट्रीय अभिकरण के रूप में कार्य करेगा
(क) साइबर घटना संबंधी सूचना का संग्रहण, विश्लेषण और प्रसार;
(ख) साइबर सुरक्षा घटनाओं का पूर्वानुमान और चेतावनियां;
(ग) साइबर सुरक्षा घटनाओं से निपटने के लिए आपात अध्युपाय;
(घ) साइबर घटना मोचन क्रियाकलापों का समन्वय
(ड.) साइबर घटनाओं की सूचना सुरक्षा पद्धतियों प्रक्रियाओं, निवारण, मोचन और रिपोर्ट करने के संबंध में मार्गदर्शक सिद्धांत, सलाह अति संवेदनशील टिप्पण और श्वेतपत्र जारी करना;
(च) साइबर सुरक्षा से संबंधित ऐसे अन्य कृत्य, जो विहित किए जाएं ।
(5) उपधारा (1) में निर्दिष्ट अभिकरण के कृत्यों और कर्तव्यों का पालन करने की रीति वह होगी, जो विहित की जाए ।
(6) उपधारा (4) के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए, उपधारा (1) में निर्दिष्ट अभिकरण, सेवा प्रदाताओं, मध्यवर्तियों, डाटा केन्द्रों, निगमित निकायों और किसी अन्य व्यक्ति से सूचना मांग सकेगा और उसे निदेश दे सकेगा ।
(7) ऐसा कोई सेवा प्रदाता, मध्यवर्ती डाटा केन्द्र, निगमित निकाय और अन्य व्यक्ति, जो उपराधा (6) के अधीन मांगी गई सूचना देने में या निदेश का अनुपालन करने में असफल रहता है, कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो एक लाख रुपये तक का हो सो या दोनों से दडनीय होगा ।
(8) कोई न्यायालय, इस धारा के अधीन किसी अपराध का संज्ञान उपधारा (1) में निर्दिष्ट अभिकरण द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी अधिकारी द्वारा दिए गए किसी परिवाद पर के सिवाय नहीं करेगा ।
जो कोई, नियंत्रक या प्रमाणकर्ता प्राधिकारी के समक्ष, यथास्थिति, कोई अनुज्ञप्ति या इलेक्ट्रोनिक चिन्हक प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए कोई दुर्व्यपदेशन करता है या किसी तात्त्विक तथ्य को छिपाता है तो वह ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसे जुर्माने से, जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
इस अधिनियम या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, यदि किसी व्यक्ति ने, इस अधिनियम, अधीन बनाए गए नियमों या विनियमों के अधीन प्रदत्त किन्हीं शक्तियों के अनुसरण में किसी इलैक्ट्रानिक अभिलेख, पुस्तक, रजिस्टर, पत्राचार, सूचना, दस्तावेज या अन्य सामग्री से सम्बद्ध व्यक्ति की सहमति के बिना पहुंच प्राप्त कर ली है और वह किसी व्यक्ति को उस इलैक्ट्रानिक अभिलेख, पुस्तक, रजिस्तर, पत्राचार, सूचना, दस्तावेज या अन्य सामग्री को प्रकट करता है तो वहे ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक हो सकेगी, या ऐसे जुर्माने से, जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
इस अधिनियम या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में यथा उपबंधित के सिवाय, कोई व्यक्ति, जिसके अंतर्गत मध्यवर्ती भी है, जिसने विधिपूर्ण संविदा के निबंधनों के अधीन सेवाए उपलब्ध कराते समय, ऐसी किसी सामग्री तक, जिसमें किसी अन्य व्यक्ति के बारे में व्यक्तिगत सूचना अंतर्विष्ट है, पहुंच प्राप्त ली है सदोष हानि या सदोष अभिलाभ कारित करने के आशय से या यह जानते हुए कि उसे सदोष हानि या सदोष अभिलाभ कारित होने की संभावना है, संबंधित व्यक्ति की सम्मति के बिना या किसी विधिपूर्ण संविदा का भंग करते हुए किसी अन्य व्यक्ति को ऐसी सामग्री प्रकट करता है, तो वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से जो पांच लाख रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से दण्डित किया जाएगा ।
इलेक्ट्रोनिक चिन्हक प्रमाणपत्र की कतिपय विशिष्टियों को मिथ्या प्रकाशित करने के लिए शास्ति
(1) कोई व्यक्ति, 'इलेक्ट्रोनिक चिन्हक प्रमाणपत्र को तब तक प्रकाशित नहीं करेगा या किसी अन्य व्यक्ति को अन्यथा उपलब्ध नहीं कराएगा, यदि उसे यह जानकारी है कि
(क) प्रमाणपत्र में सूचीबद्ध प्रमाणकर्ता प्राधिकारी ने उसे जारी नहीं किया है; या
(ख) प्रमाणपत्र में सूचीबद्ध हस्ताक्षरकर्ता ने उसे स्वीकार नहीं किया है; या
(ग) वह प्रमाणपत्र प्रतिसंहत या निलंबित कर दिया गया है,
जब तक कि ऐसा प्रकाशन, ऐसे निलंबन या प्रतिसंहरण से पूर्व सृजित 'इलेक्ट्रोनिक चिन्हक के सत्यापन के प्रयोजनार्थ न हो ।
(2) ऐसा कोई व्यक्ति, जो उपधारा (1) के उपबंधों का उल्लंघन करता है, ऐसे कारावास से जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसे जुर्माने से, जो एक लख रुपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से, दंडित किया जाएगा ।
जो कोई, किसी कपटपूर्ण या विधिविरुद्ध प्रयोजन के लिए कोई इलेक्ट्रोनिक चिन्हक प्रमाणपत्र जानबूझकर सृजित करता है, प्रकाशित करता है या अन्यथा उपलब्ध कराता है, वह कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से दंडित किया जाएगा ।
अधिनियम का भारत से बाहर किए गए अपराधों और उल्लंघनों को लागू होना
(1) उपधारा (2) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, इस अधिनियम के उपबंध किसी व्यक्ति द्वारा भारत से बाहर किए गए किसी अपराध या उल्लंघन को भी, उसकी राष्ट्रिकता को विचार में लाए बिना लागू होंगे ।
(2) उपधारा (1) के प्रयोजनों के लिए, यह अधिनियम किसी व्यक्ति द्वारा भारत से बाहर किए किसी अपराध या उल्लंघन को लागू होगा, यदि उस कार्य या आचरण में, जिससे यह अपराध या उल्लंघन होता है, भारत में अवस्थित कोई कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली या कंप्यूटर नेटवर्क अंतर्वलित हो I
कोई ऐसा कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली, फ्लापी, काम्पैक्ट डिस्क, टेपचालन या उससे संबंधित कोई ऐसे अन्य उपसाधन, जिनकी बाबत इस अधिनियम, इसके अधीन बनाए गए नियमों, किए गए आदेशों या बनाए गए विनियमों के किसी उपबध का उल्लंघन किया गया हो या किया जा रहा है, अधिहरणीय होंगे;
परंतु जहां अधिहरण का अधिनिर्णय देने वाले न्यायालय के समाधानप्रद रूप में यह सिद्ध हो जाता है कि वह व्यक्ति, जिसके कब्जे, शक्ति या नियंत्रण में कोई ऐसा कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली, फ्लापी, काम्पैक्ट डिस्क, टेपचालन या उससे संबंधित कोई अन्य उपसाधन पाया जाता है, इस अधिनियम, इसके अधीन बनाए गए नियमों, किए गए आदेशों या बनाएं गए विनियमों के उपबंधों के उल्लंघन के लिए उत्तरदायी नहीं है, वहां न्यायालय, ऐसे कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली, फ्लापी, काम्पैक्ट डिस्क, टेपचालन या ससे संबंधित किसी अन्य उपसाधन के अधिहरण का आदेश करने के बजाय इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों, किए गए आदेशों या बनाए गए विनियमों के उनकेकी क उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध इस अधिनियम द्वारा प्राधिकृत ऐसा अन्य आदेश कर सकेगा, जो वह ठीक समझे ।
इस अधिनियम के अधीन अधिनिर्णीत प्रतिकर, अधिरोपित शास्ति या किया गया अधिहरण, तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन किसी प्रतिकर के अधिनिर्णय या किसी अन्य शास्ति या दंड के अधिरोपण को निवारित नहीं करेगा I
परन्तु न्यायालय, ऐसे अपराध का वहां शमन नहीं करेगा, जहाँ अपराधी, उसकी पूर्व दोषसिद्धि के कारण या तो वर्धित दंड का या भिन्न प्रकार के किसी दंड के लिए दायी है;
परन्तु यह और कि न्यायलय ऐसे किसी अपराध का शमन नहीं करेगा, जहां ऐसा अपराध देश की सामाजिक आर्थिक स्थिति पर प्रभाव डालता है या अठारह वर्ष की आयु से कम आयु के किसी बालक या किसी स्त्री के संबंध में किया गया है ।
(2) इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का अभियुक्त व्यक्ति उस न्यायालय में, जिसमें अपराध विचारण के लिए लंबित है, शमन के लिए आवेदन फाइल कर सकेगा और दंड प्रक्रिया संहिता, 1973(1974 का 2) की धारा 265ख और धारा 265ग के उपबंध लागू होंगे । ।
अपराधों का अन्वेषण करने की शक्ति
दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) में अतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, कोई ऐसा पुलिस अधिकारी, जो निरीक्षकों की पंक्ति से नीचे का न हो, इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का अन्वेषण करेगा ।
स्रोत: इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार
Last Modified : 9/20/2019
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