साप्ताहिक हाट (बाजार) ग्रामीण जीवन का महत्वपूर्ण भाग है, जहाँ लोग अपनी दैनिक जरूरतों की चीजें खरीद सकते है | झूलों, खाद्य पदार्थों तथा खिलौनों के साथ त्योहार की मस्ती से इन हाटों का आकर्षण बढ़ता है | अम्बेपुर ग्राम पंचायत में वर्षों से ऐसी सप्ताहिक हाट चल रही है | ज्यादातर, जो बिक्रेता पहले आते थे, वे सब्जियाँ और अन्य कृषि उपज बेचते थे | तीन वर्ष पहले अम्बेपुर ग्राम पंचायत ने इस सप्ताहिक बाजार को बड़ा बाजार स्थल बनाने का निर्णय किया | एक एकड़ भूमि पर अत्याधुनिक बाजार स्थल बनाया गया जिसमें स्टॉलों के लिए व्यवस्थित तरीके से लगाए गए शेड, चलने के रास्ते तथा चारदीवारी बनाई गई | पीने के पानी और शौचालय (10) आदि जैसी सुख सुविधाओं की व्यवस्था की गई है | इस बाजार स्थल में 5-5 वर्ग फुट के 1100 तक स्टॉल लगाए जा सकते हैं | इन स्टॉलों का किराया प्रति दिन प्रति स्टॉल 20 रूपये है |
इन स्थाई ढांचों से यह बाजार न केवल अम्बेपुर में बल्कि समीपवर्ती गाँवों और कालोनियों में भी बहुत लोकप्रिय हो गया है | यह सूचना मिली है कि इस नई सुविधा से विक्रेताओं (इसमें बाजार के बाहर बैठे खोमचे वाले शामिल नहीं हैं) की संख्या में कम से कम 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और खरीददारों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है | इस बाजार का एक और लाभ राज्य के हाईवे से इसकी निकटता है, जिससे ग्राम पंचायत में पहुंचना आसान हो जाता है | पारकिंग की पर्याप्त जगह होने से खरीद दारों के लिए यह बाजार ज्यादा आकर्षक हो गया है | ग्राम पंचायत द्वारा लगाई गई लाइटों से बाजार शाम को देर तक खुला रहता है | अतिरिक्त राजस्व अर्जित करने के अलावा इस बाजार से अम्बेपुर ग्राम पंचायत की प्रतिष्ठा भी बढ़ी है |
लोग अपने कार्य स्थल के निकट रहना पसंद करते हैं | वैकल्पिक रूप से वे उस जगह पर रहना पसंद करेंगे, जहाँ रहन-सहन, स्वस्थ, साफ़-सुथरा और सुविधाजनक हो | तार्किक दृष्टि से सबसे पंसदीदा स्थल वह होता है, जो स्वस्थ एवं साफ तथा सुविधाजनक दोनों ही हो | औद्योगिक क्षेत्र के निकट रहने के साफ़ और स्वच्छ हालातों के कारण अम्बेपुर ग्राम पंचायत ऐसा ही स्थल बन गया है | अम्बेपुर ग्राम पंचायत अलीबाग शहर से 15 किलोमीटर दूर मुम्बई अलीबाग रोड़ पर स्थित है | यह ग्राम पंचायत न केवल निर्मल ग्राम पंचायत है, अपितु इसने लगातार सफाई के मानकों को बढ़ाया है | यहाँ साफ़ सुथरे शौचालय, साफ़ नाले और सड़क, पीने का साफ़ पानी है और कोई बदबूदार कूड़े के ढेर नहीं है | स्वयं सरपंच इसकी प्रेरणा स्त्रोत है | यह कहा जाता है कि वह गाँव के विभिन्न भागों में सुबह सैर करती है और उसका पूरा सम्मान करते हुए लोग उसके सैर पर आने से पहले आसपास की जगह साफ़ कर देते है | इस संबंध में अन्य प्रयास पक्का स्वच्छ मछली बाजार का निर्माण है |
परिणामस्वरूप पिछले कई वर्षों से भारी संख्या में बाहरी लोग इस ग्राम पंचायत में किराए पर रहने के लिए आए है | ये लोग या तो निकटवर्ती उद्योगों के कामगार है या प्राइवेट हाई स्कूल और प्राइमरी स्कूलों के शिक्षक और छात्र हैं | ग्राम पंचायत के अनुमानों के अनुसार ग्राम पंचायत में अस्थायी तौर पर किराए पर रहने वाले लोगों की संख्या 15,000 है | इनमें से लगभग 10,000 लोग औद्योगिक कामगार है और लगभग 5,000 लोग प्रोफेशनल कॉलेजों सहित स्थानीय और पड़ोस के शैक्षिक संस्थानों से जुड़े है | यह अस्थायी संख्या ग्राम पंचायत के स्थायी निवासियों की संख्या से तीन गुना है |
यह स्पष्ट है कि ये अस्थायी निवासी किराए और दैनिक जरूरतों की अन्य चीजों की खरीददारी पर खर्च करके ग्राम पंचायत की स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ा रहे है, जबकि इस अतिरिक्त जनसंख्या से ग्राम पंचायत को आर्थिक लाभ होता है, इससे अधिक मात्रा में ठोस और तरल अपशिष्ट सामग्री बनने, सफाई और सामाजिक बुराईयों की समस्याएं भी आती हैं | अम्बेपुर ग्राम पंचायत इन समस्याओं से सफलतापूर्वक निपटती रही है |
स्रोत: भारत सरकार, पंचायती राज मंत्रालय
Last Modified : 9/5/2019
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